अमृतसर:अमृतसर में सिखों के पांचवें गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी के शहीदी दिवस पर आज हजारों श्रद्धालुओं स्वर्ण मंदिर पहुंचकर माथ टेका। ऑपरेशन सिंदूर के बाद से श्रद्धालुओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।
इस अवसर पर पूरे शहर में छबील की व्यवस्था की गई। गोल्डन टेंपल परिसर में भी श्रद्धालुओं को छबील वितरित की गई। श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गढ़गज ने श्री गुरु अर्जुन देव जी के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण प्रसंग साझा किए।
उन्होंने बताया कि, गुरु अर्जुन देव जी को मात्र 18 वर्ष की आयु में उनके पिता रामदास जी ने गुरुगद्दी सौंपी। उन्होंने अपने पिता द्वारा शुरू किए गए कार्यों को पूरा किया। अमृतसर सरोवर का निर्माण गुरु रामदास जी ने आरंभ किया था। गुरु अर्जुन देव जी ने संगत के साथ मिलकर इसे पूर्ण करवाया।
उन्होंने अमृतसर में श्री हरमंदिर साहिब का नक्शा स्वयं तैयार किया। मुस्लिम फकीर मियां मीर से मंदिर की नींव रखवाकर सर्वधर्म समभाव का संदेश दिया। मंदिर के पूरा होने पर यहां गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश किया गया। बाबा बुड्ढा जी को पहले ग्रंथी के रूप में नियुक्त किया गया।
गुरु अर्जुन देव जी ने तरन तारन सरोवर, जालंधर, छेहरटा साहिब, श्री हरगोविंदपुरा, गुरु का बाग और श्री रामसर जैसे स्थानों का भी निर्माण करवाया। रामसर सरोवर के तट पर बैठकर उन्होंने भाई गुरदास जी से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बाणी लिखवाई।