पंजाब के उन 412 कैदियों को दो हफ्तों में अंतरिम जमानत पर रिहा करने के आदेश पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दिए हैं, जिनकी समय से पहले रिहाई के लिए अर्जियां लंबित हैं। इस मामले में कोर्ट ने कैदियों की अर्जियों पर कार्रवाई न करने के लिए जिम्मेदार अथॉरिटी को फटकार भी लगाई है। साथ ही कोर्ट ने इसे चिंता का विषय भी बताया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा होने से कैदियों को अधिक समय तक जेल में रहना पड़ा है, जबकि वे रिहा होने के योग्य थे। ऐसा अनुशासनहीन नजरिया कैदियों के हक और भलाई के मामले में विकसित हुए संवेदनहीन सभ्यता का लक्षण है।
उच्च अदालत ने इस मामले में सुनवाई करते हुए चंडीगढ़ और हरियाणा को पिछले दो सालों में पेंडिंग समय से पहले रिहाई संबंधी मामलों के हलफनामे देने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा है कि दूसरे दर्जे के नागरिक जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता है। यह निर्देश 10 दिसंबर 2024 के हलफनामे के बाद आए हैं।
अदालत ने इस मामले में कहा कहा कि राज्य निष्पक्ष रूप से कार्य करने और उसके द्वारा तैयार की गई रणनीति के अनुसार आगे बढ़ने के लिए कर्तव्य बद्ध है। याद रहे कि पंजाब में मौजूदा समय में 27 जेलें हैं। इनमें 30 हजार से अधिक कैदी भरे हुए हैं। सरकार की तरफ से लुधियाना में एक हाईकोर्ट बनाने की योजना है।