ग्लोबल सिख काउंसिल ने कनाडा के क्यूबेक प्रांत द्वारा लागू किए गए विवादास्पद ‘बिल-21’ कानून की कड़ी निंदा की है, साथ ही संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) और कनाडा ने संघीय सरकार से इस विवादास्पद को तुरंत रद्द करने का आग्रह किया है। इस कानून के तहत, सार्वजनिक क्षेत्र में कार्यरत सिखों को कार्यालयों में और काम के दौरान धार्मिक प्रतीक पहनने पर प्रतिबंध है।
जीएससी ने कहा है कि यह कानून सीधे तौर पर संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा का उल्लंघन करता है, जिस पर कनाडा सरकार एक हस्ताक्षरकर्ता है। इस वजह से कनाडा की संघीय सरकार और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इस निंदनीय मामले पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
इस वक्तव्य में परिषद की अध्यक्ष लेडी सिंह डा. कंवलजीत कौर, ओबीई ने इस बात पर जोर दिया कि कनाडा का संविधान देश के सभी नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। इसके सिवा, कनाडा ने संयुक्त राष्ट्र संधियों की पुष्टि की है जो नस्लीय और धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि क्यूबेक का यह कानून अपने नागरिकों के खिलाफ उनकी धार्मिक मान्यताओं के आधार पर भेदभाव को उचित ठहराता है और उनके बुनियादी संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।