जालंधर में गन्ने के मुद्दे को लेकर किसानों का प्रदर्शन उग्र होता जा रहा है। नेशनल हाईवे के बाद अब उन्होंने रेल ट्रैक जाम कर दिया है। बुधवार को मुख्यमंत्री के साथ बैठक न हो पाने के बाद किसान गुरुवार को धन्नो वाली के पास रेलवे ट्रैक पर बैठ गए। भारी संख्या में तैनात पुलिस बल भी उन्हें रोक नहीं पाया।
फगवाड़ा में रोकी गई शताब्दी
किसानों के रेलवे ट्रैक पर बैठते ही ट्रेनें प्रभावित होने लगी है। रेलवे के मुताबिक इस ट्रैक से रोजाना चौबीस घंटे में 120 ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित होगी। गुरुवार को 40 ट्रेनें निकल चुकी थीं, अब 80 ट्रेनों को डायवर्ट करने के लिए रेल अफसरों की बैठक शुरू हो गई है।
रेलवे ट्रैक बंद होते ही शताब्दी एक्सप्रेस को कपूरथला के फगवाड़ा में रोक दिया है। जालंधर कैंट रेलवे स्टेशन के पास प्रदर्शन होने के कारण आम्रपाली एक्सप्रेस को जालंधर सिटी स्टेशन पर रोक दिया गया है।
जालंधर सिटी स्टेशन से होगा डायवर्जन
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि रेलवे ट्रैक पर धरने से पहले फिरोजपुर मंडल के अलग-अलग स्टेशनों से करीब 40 ट्रेनें निकल चुकी थीं, अब 80 ट्रेनों को डायवर्ट किया जा रहा है। ट्रेनों का डायवर्जन जालंधर सिटी स्टेशन से होगा। इस दौरान लुधियाना, अंबाला, पानीपत, दिल्ली के जरिए अन्य राज्यों में जाने वाली ट्रेनें नकोदर से फगवाड़ा होकर निकलेंगी। नकोदर फगवाड़ा सिंगल लाइन होने के कारण ट्रेन घंटों लेट होगी।
तीन दिन से जाम है हाईवे
जालंधर के धन्नो वाली के पास पिछले तीन दिनों से किसान नेशनल हाईवे पर प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन के कारण दिल्ली जम्मू हाईवे पूरी तरह से बंद है। किसान गन्ने का रेट बढ़ाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। अब उन्होंने लुधियाना की तरफ जाते समय पीएपी चौक से कुछ दूरी पर धन्नोवाली फाटक के पास ही रेलवे ट्रैक और नेशनल हाईवे को बंद कर दिया है। किसान नेशनल हाईवे पर टेंट लगाकर बैठे हैं और उसके किनारे सर्विस लेन को ट्रैफिक के लिए खोला गया है।
बुधवार को चंडीगढ़ में किसानों की एक बैठक होनी थी, जो नहीं हो सकी। इससे नाराज किसानों ने एलान किया कि जब तक सरकार गन्ने का रेट बढ़ाने की मांग नहीं मान लेती, तब तक धरना जारी रहेगा। संगठन ने कहा कि किसान अपनी मांगें पूरी करवाने के लिए 26 नवंबर को चंडीगढ़ कूच करेंगे। बुधवार को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसानों को हाईवे जाम कर लोगों को परेशान न करने की दो-टूक नसीहत दी थी लेकिन किसानों पर इसका असर नहीं हुआ। किसानों ने कहा था कि हमारे सड़कों पर दोबारा से उतरने के लिए सरकार ही जिम्मेदार है।