उत्तरकाशी के धराली गांव में मंगलवार दोपहर 1.45 बजे बादल फटने से भारी तबाही मच गई। इसमें 4 लोगों की मौत हो गई, जबकि 50 से ज्यादा लोग लापता हैं।
खीर गंगा नदी में पहाड़ों से बहकर आए मलबे से गंगोत्री तीर्थयात्रियों के प्रमुख पड़ाव धराली गांव के बाजार, मकान और होटल बह गए। सिर्फ 34 सेकेंड में सब कुछ बर्बाद हो गया।
धराली के अलावा हर्षिल और सुक्की में बादल फटा है। हर्षिल इलाके में बादल फटने से सेना के 8 से 10 जवानों के लापता होने की खबर है। प्रशासन का कहना है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है।
SDRF, NDRF, ITBP और आर्मी की टीमें बचाव और रेस्क्यू के काम में जुटी हैं। अब तक 130 से ज्यादा लोगों का रेस्क्यू किया जा चुका है।धराली गांव में 1864, 2013 और 2014 में भी पहाड़ पर बादल फटे। इससे खीर नाले ने तबाही मचाई। भूगर्भ वैज्ञानिकों ने तीनों ही आपदाओं के बाद धराली गांव को कहीं और बसाने की सलाह राज्य सरकार को दी। यह भी बताया कि आपदा के लिहाज से धराली टाइम बम पर बैठा है। लेकिन, इसे शिफ्ट नहीं किया गया।
वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. एसपी सती बताते हैं कि धराली ट्रांस हिमालय (4 हजार मी. से ऊपर) में मौजूद मेन सेंट्रल थर्स्ट में है। यह एक दरार होती है, जो मुख्य हिमालय को ट्रांस हिमालय से जोड़ती है। ये भूकंप का अति संवेदनशील जोन भी है। जिस पहाड़ से खीर गंगा नदी आती है, वो 6 हजार मी. ऊंचा है, जब भी वहां से सैलाब आता है, धराली को तहस-नहस कर देता है।
करीब 6 महीने पहले पहाड़ी का एक हिस्सा टूटकर खीर नदी में गिर रहा था। लेकिन ये अटक गया था। संभवत: इस बार वही हिस्सा टूटकर नीचे आया है।