पंजाब के खेतों में फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए कीटनाशकों का अंधाधुंध इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन इन कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल के मुद्दे पर पंजाब विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां का कहना है कि अब समय आ गया है कि खतरनाक कीटनाशकों और दवाओं का इस्तेमाल कम किया जाए। उन्होंने कहा कि मानव जीवन को बचाने और अच्छे स्वास्थ्य की दृष्टि से यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है, जिसका उचित तरीके से समाधान किया जाना चाहिए।
दरअसल, खतरनाक कीटनाशकों के इस्तेमाल से जुड़ी चिंताओं को लेकर आज पंजाब विधानसभा सचिवालय में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस वर्कशॉप में कुलतार सिंह संधवां ने मुख्य मेहमान के रूप में शिरकत की। यहां संबोधित करते हुए संधवां ने खतरनाक कीटनाशकों के इस्तेमाल पर चिंता जताई। जैविक खेती और विरासत खेती तकनीकों के उपयोग पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि पंजाब ने अनाज उत्पादन पर अधिक पैदावार हासिल करने में देश का नेतृत्व किया है। अब पंजाब जहर और कीटनाशकों का उपयोग कम करके गुणवत्तापूर्ण अनाज और फसल पैदा करने में भी अग्रणी साबित होगा। कीटनाशकों और रसायनों के प्रयोग से मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण धीरे-धीरे खतरनाक दिशा में जा रहा है। इसके प्रति किसानों, लोगों और समाज को जागरूक करने की जरूरत है।
इसके साथ ही पंजाब के कृषि मंत्री गुरुमीत सिंह खुड़ियां ने कहा कि कीटनाशकों के प्रयोग से उत्पादन तो बढ़ता है, लेकिन यह धीरे-धीरे मानव अस्तित्व के लिए खतरा बनती जा रही है। अधिक मुनाफे की खातिर कीटनाशकों का प्रयोग एक बहुत ही खतरनाक प्रवृत्ति है, जिससे छुटकारा पाने के लिए सरकार, स्वयंसेवी संगठनों, किसानों और समाज की मदद से लगातार प्रयास किए जाने चाहिए।
इसके सिवा डा. पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि उद्योगों से निकलने वाले पानी के कारण जमीन में यूरेनियम और खतरनाक रसायनों का स्तर बढ़ रहा है, जिससे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां बढ़ रही हैं। इसके प्रति किसानों और लोगों को जागरूक करना बहुत जरूरी हो गया है।
इसके साथ ही विशेष मुख्य सचिव कृषि श्री के.ए.पी. सिन्हा का कहना है कि राज्य सरकार पहले से ही दवाओं और कीटनाशकों के इस्तेमाल को कम करने के लिए काम कर रही है. पंजाब सरकार ने बासमती फसल से संबंधित 10 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया है।