शहडोल : प्रथम पातशाह श्री गुरु नानक देव जी का रूप धारण कर सिखों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले मामले के संबंध में श्री अकाल तख्त के प्रतिनिधि शहडोल पहुंचे। जहां उन्होंने सिंधु भवन में समाज के प्रबंधकों से मीटिंग की। मीटिंग में उज्जैन से आए सिख प्रतिनिधि भी शामिल हुए। मामले में जिस बच्ची ने गुरुनानक देव जी की भेषभूषा पहनकर उनका रूप धारण किया था उसे और उसके परिवार समेत सिंधि समाज की गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी को श्री अकाल तख्त साहिब में तलब होने के निर्देश दिए हैं।
मामले में सिंधि पंचायत के अध्यक्ष रमेश खत्री ने माफी मांगी और बताया कि गुरुपर्व सिंधि समाज और सिख समाज 15 नवंबर को बड़े जोर-शोर और उल्लास के साथ बड़ी श्रद्धा भक्ति के साथ मनाते हैं। इसी तरह शहडोल में भी सिंधि धर्मशाला में यह पर्व मनाया।
वहीं एक दिन पहले 14 नवंबर को समाज के बच्चों ने राधा कृष्ण, शंकर भगवान का रूप धारण कर रास लीला और नृत्य किया। इसी तारतम्य में एक बच्ची ने श्री गुरूनानक देवी जी बनकर कार्यक्रम में आने की इच्छा जताई। गुरुपर्व के उत्साह उमंग और उल्लास में हमने उसे अनुमति दे दी। वह बच्ची श्री गुरुनानक देव का रूप धारण करके आई और उसे मंच पर बैठा दिया गया। निश्चित रूप में यह गलती है। हम इस गलती को स्वीकार करते हैं और पूरे सिख समाज से माफी मांगते हैं।
मामले में मध्य प्रदेश सिख मिशन के इंचार्ज बलदेव सिंह ने कहा कि सिख समाज में कभी भी गुरूओं को रूप धारण नहीं किया जाता न ही उनकी मूर्ति बनाई जाती है। सिख धर्म में गुरू का शब्द ही गुरू का स्वरूप है। सिख समाज न मूर्ति की पूजा करता है न किसी मनुष्य को उनका रूप धारण करने की आज्ञा देता है।