चंडीगढ़ (ब्यूरो ऑफिस)- पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान द्वारा विपक्षी दलों को दी गई चेतावनी – कि वे धमकी, दहशत और फूट डालने वाली राजनीति से दूर रहें – समय की गंभीर आवश्यकता है। यह संदेश केवल राजनीतिक टकराव या चुनावी हलचल के संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे एक व्यापक लोकतांत्रिक परिप्रेक्ष्य में जनता की वास्तविक अपेक्षाओं और राजनीतिक जिम्मेदारियों से जोड़कर समझने की आवश्यकता है।
पंजाब, जो लंबे समय तक तनाव, हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर चुका है, अब शांति, सुरक्षा और विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है। ऐसे हालात में, यदि किसी भी पक्ष द्वारा जनता को डराने, भड़काने या बांटने की कोशिश की जाती है, तो यह न केवल संवैधानिक व्यवस्था बल्कि जनता की आत्मा पर भी आघात समझा जाएगा।
मुख्यमंत्री ने जो शब्द उपयोग किए – “फूट डालने और शरारती रवैये” – वे सीधे उस राजनीति की ओर इशारा करते हैं जो समाज में तनाव और अविश्वास पैदा करती है। पंजाब की जनता अब इस तरह की राजनीति से ऊब चुकी है। वह नई राहों, नई सोच और नैतिकता से भरपूर नेतृत्व की प्रतीक्षा कर रही है, जो उनकी भलाई को अपना असली उद्देश्य बनाए।
इस संदेश में एक और विनम्र लेकिन महत्वपूर्ण परत यह है कि सत्ता में रहकर भी मुख्यमंत्री विपक्ष को नैतिकता की चेतावनी दे रहे हैं, न कि प्रतिशोध या रणनीतिक अहंकार के साथ। यह बात लोकतंत्र की परिपक्वता का प्रमाण है। सच्चा लोकतंत्र वही होता है जहाँ अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ-साथ जवाबदेही और नैतिकता की भी मज़बूत नींव हो।
हाल के समय में यह देखा गया है कि कुछ राजनीतिक धड़े जनता की भावनाओं से खेलने की कोशिश करते हैं – कभी धार्मिक भावनाओं को भड़का कर, कभी जातिवादी विभाजन द्वारा, और कई बार सीधे उन्हें डराकर। ऐसे तरीके न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों पर आघात हैं, बल्कि राजनीतिक नेतृत्व की असल कमजोरी को भी उजागर करते हैं।
सरकार द्वारा जनता की भलाई के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं – जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, रोजगार और कृषि के क्षेत्र में सुधार – वे तभी सफल हो सकते हैं जब एक स्थिर, शांतिपूर्ण और विश्वास योग्य सामाजिक-राजनीतिक वातावरण बने। यह माहौल वहाँ नहीं बन सकता जहाँ धमकी, दबाव और दहशत की राजनीति को खुली छूट हो।
इस परिप्रेक्ष्य में मुख्यमंत्री का संदेश केवल उन राजनीतिक दलों के लिए चेतावनी नहीं है जो अभी भी पुरानी रणनीतियों पर चल रहे हैं, बल्कि यह एक बड़ी जनता के लिए भी आशा की किरण है कि उनकी आवाज़ और मन की शांति की कद्र करने वाला नेतृत्व मौजूद है।
समाज और राजनीतिक व्यवस्था में आने वाली सभी चुनौतियों का समाधान क्रोध या हिंसा के माध्यम से नहीं, बल्कि संवैधानिक और नैतिक ढंग से ही संभव है। लोकतंत्र की असली खूबसूरती भी इतिहास में वही मानी गई है जहाँ विरोध भी आदर के साथ, संवाद भी संयम के साथ, और असहमति भी न्याय के रास्ते से आगे बढ़ती है।
इस संपादकीय के माध्यम से हम सरकार के इस रुख का पूर्ण समर्थन करते हैं। उम्मीद की जाती है कि सभी राजनीतिक दल अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए, जनता की भलाई और लोकतंत्र की पवित्रता के लिए एक सुचिंतित, नैतिक और शांतिपूर्ण रास्ता चुनेंगे। यही सच्ची सेवा और सच्ची राजनीति होगी।
