‘हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को सही मानने की जरूरत नहीं’, अडानी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

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Supreme Court on Adani Hindenburg Case: सुप्रीम कोर्ट में अडानी-हिंडनबर्ग मामले पर बहस पूरी हो गई है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। शुक्रवार को अदालत ने कहा कि सेबी को सभी 24 मामलों की जांच पूरी करनी होगी। सेबी ने 25 अगस्त को अडानी समूह द्वारा स्टॉक प्राइस में हेरफेर के आरोपों की अपनी जांच पर सुप्रीम कोर्ट को एक रिपोर्ट सौंपी थी।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट को तथ्यात्मक रूप से सत्य नहीं मान सकते

रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी ने 24 में से 22 मामलों में अपनी जांच पूरी कर ली है। सेबी अब सभी 24 मामलों की जांच पूरी करेगी। कोर्ट ने कहा कि हमें हिंडनबर्ग रिपोर्ट को तथ्यात्मक रूप से सत्य नहीं मानना है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट की सत्यता का परीक्षण करने का कोई साधन नहीं है और इसलिए सेबी से जांच करने को कहा गया है। कोर्ट ने कहा कि आरोप लगाने में कुछ जिम्मेदारी तो होनी ही चाहिए।

याचिकाकर्ताओं को लगाई फटकार

इसे साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अडानी-हिंडनबर्ग रिपोर्ट से जुड़े मामले में सुनवाई के दौरान कुछ याचिकाकर्ताओं द्वारा LIC और SBI की भूमिका की जांच की मांग पर फटकार लगाई। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि बिना किसी ठोस आधार और सबूत के इस तरह की मांग करना ठीक नहीं है। कोई भी आरोप लगाने से पहले सोचना चाहिए कि उसका प्रभाव क्या होगा।

कोर्ट ने यह भी कहा कि सेबी से यह नहीं कहा जा सकता कि वह अखबार में छपी किसी खबर को सत्य के रूप में ले। वहीं याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने मांग की कि अडानी के शेयर में हुए निवेश की जांच हो। यह भी देखा जाए कि किसे फायदा मिला। वहीं इस मामले में सेबी ने कहा कि उसने हर पहलू की जांच कर ली है। SC ने सभी पक्षों को सोमवार तक लिखित दलीलें जमा करवाने को कहा है।

क्या है अडानी-हिंडनबर्ग केस?

24 जनवरी को अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। जिसमें अडानी समूह पर स्टॉक की कीमतें बढ़ाने के उद्देश्य से हेरफेर का आरोप लगाया गया था। जवाब में अडानी समूह ने 413 पेज का उत्तर प्रकाशित करके आरोपों का खंडन किया था।



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