विकास में बाधक बना महत्वपूर्ण ओहदों का एडहॉक चार्ज:

-प्रशासक के सलाहकार की पोस्ट पर अभी तक कोई नियुक्ति नहीं, अब 30 नवंबर को एसएसपी ट्रैफिक का भी होने वाला डेपुटेशन पूरा
-राइट टू सर्विस कमीशन जैसी संवैधानिक पोस्ट पर भी सात महीने तक नहीं हुई थी किसी अफसर की नियुक्ति
-पूर्व एसएसपी कुलदीप चहल के जाने के बाद एसएसपी ट्रैफिक के पास रहा यह महत्वपूर्ण चार्ज

चंडीगढ़,25 नवंबर (साजन शर्मा): चंडीगढ़ प्रशासन फिलहाल कार्यवाहक चार्जों के सहारे आगे बढ़ रहा है। कई अफसर रिटायर हो रहे हैं या दूसरी जगह ट्रांसफर हो रहे हैं तो उनकी जगह दूसरे अफसर को चार्ज देकर काम चलाया जा रहा है। महत्वपूर्ण ओहदों पर एडहॉक चार्ज शहर के विकास में बाधा बन रहा है। एसएसपी ट्रैफिक मनीषा चौधरी का जल्द ही डेपुटेशन पूरा होने जा रहा है। प्रशासन भली भांति जानता है कि कौन से अफसर जल्द रिटायर होने जा रहे हैं या उसकी वापसी हो रही है लेकिन इन अफसरों की जगह दूसरे अफसरों को मांगने में देरी की जा रही है। इससे प्रशासन के काम लटक रहे हैं। खासतौर से पॉलिसी निर्णय लेने में दिक्कतें हो रही हैं।

एसएसपी ट्रैफिक मनीषा चौधरी 30 नवंबर को डेपुटेशन पूरा होने पर हरियाणा वापिस जा रही हैं। ट्रैफिक एसएसपी का चंडीगढ़ में बहुत ही महत्वपूर्ण रोल है। ट्रैफिक विभाग का एक पूरा लाव-लश्कर एसएसपी ट्रैफिक के नेतृत्व में चंडीगढ़ में काम करता है। इनकी जगह अगर समय पर अफसर नहीं आता तो लाजिमी है कि इनका चार्ज किसी दूसरे अफसर के सुपुर्द किया जाएगा लेकिन एडहॉकिज्म पर जो नियुक्ति होती है या जिसे चार्ज मिलता है तो वह इस ड्यूटी को गंभीरता से नहीं निभाता बल्कि समय काटता है। इस वजह से व्यवस्था का संपूर्ण ढांचा अस्थाई नियुक्ति के दौरान तहस नहस हो जाता है। एसएसपी ट्रैफिक मनीषा चौधरी का कोई पहला उदाहरण नहीं है। 31 अक्टूबर को प्रशासक के सलाहकार रहे धर्मपाल की रिटायरमेंट हुई लेकिन उनके रिटायर होने से पहले कोई दूसरा अफसर तैनात नहीं किया गया। 

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