चंडीगढ़—पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ आईजी जेल को जिम्मेदार ठहराते हुए 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। मामला एक ऐसे कैदी से जुड़ा है, जिसे दुष्कर्म के केस में दोषी ठहराया गया है और वर्तमान में 20 साल की सजा काट रहा है।
रिपोर्ट में कैदी को पैरोल (छुट्टी पर अस्थायी रिहाई) देने की सिफारिश की गई थी, लेकिन चंडीगढ़ आईजी ने बिना कारण बताए उसका आवेदन खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने इसे मनमाना फैसला बताते हुए कड़ी आलोचना की।
जानकारी के मुताबिक, कैदी बिहार के भागलपुर जिले का रहने वाला है। उसने पैरोल के लिए आवेदन किया था। इस पर चंडीगढ़ प्रशासन ने भागलपुर के डीएम से राय मांगी। डीएम ने मुख्य परिवीक्षा अधिकारी की रिपोर्ट भेजकर कैदी को पैरोल देने की सिफारिश की थी।
कोर्ट में कैदी के पक्ष में रखे गए तर्क
कैदी के वकील ने अदालत में यह दलील दी कि जब उसे दोषी ठहराया गया था, तब उसकी उम्र केवल लगभग 21 साल थी। इतनी कम उम्र में उसके जीवन में आगे सुधार की संभावना अधिक है। इसके अलावा, उसका पहले कभी कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा है, यानी यह उसका पहला अपराध था।
वकील ने यह भी बताया कि कैदी अब तक जेल में 4 साल 3 महीने और 5 दिन की सजा काट चुका है। इस दौरान उसने जेल में रहते हुए अनुशासन का पालन किया और उसका व्यवहार भी हमेशा अच्छा रहा है। जेल प्रशासन की रिपोर्ट में भी यह दर्ज किया गया है कि कैदी ने किसी तरह की अनुशासनहीनता नहीं की।
कोर्ट ने आदेश में क्या कहा..
हाईकोर्ट ने आईजी का आदेश रद्द कर दिया और कैदी को उसकी रिहाई की तारीख से 28 दिन की पैरोल पर रिहा करने का निर्देश दिया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस तरह की लापरवाही एक सीनियर अधिकारी से बिल्कुल उम्मीद नहीं की जा सकती।