चंडीगढ़, 15 अप्रैल
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान द्वारा शुरू की गई ’युद्ध नशों विरूद्ध’ के दौरान राज्य में नशों के पूर्ण खात्मे के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए स्वास्थ्य और परिवार भलाई मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने आज गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के साथ एक उच्च-स्तरीय सलाहकार और सहयोगी बैठक के दौरान पांच-पक्षीय कार्य योजना का आगाज़ किया। यह रणनीति नशों की आपूर्ति, मांग, नुकसान और स्टिग्मा को घटाकर नशों से निपटने के लिए राज्य की पहुंच में मिसाली बदलाव को दर्शाती है।
पंजाब के दशकों पुराने ‘राजनीतिक-पुलिस-आपराधिक गठजोड़’ के खात्मे का एलान करते हुए डॉ. सिंह ने कहा, ‘नशों के खिलाफ चल रही जंग को जीतने के लिए हमारे पास रणनीति और राजनीतिक इच्छाशक्ति है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की अगुवाई और आपके सहयोग से हम ‘रंगला पंजाब’ बनाएंगे।’
पंजाब भवन में हुई इस मीटिंग में देश भर से 30 से अधिक एनजीओज़ जैसे टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, सोसाइटी फॉर द प्रमोशन ऑफ यूथ एंड मास (एसपीवाइएम), अनन्या बिरला फाउंडेशन, कलगीधर ट्रस्ट बाड़ू साहिब, हंस फाउंडेशन, सन फाउंडेशन और ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) नई दिल्ली, पीजीआई चंडीगढ़, एंटी-नार्काेटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) के विशेषज्ञों ने भाग लिया।
नशा पीड़ितों के लिए हमदर्दी भरे पुनर्वास को यकीनी बनाते हुए नशों की आपूर्ति-मांग चक्र को तोड़ने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दोहराते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने आने वाली पीढ़ी, खासकर बच्चों और विद्यार्थियों को नशों का शिकार होने से रोकने की आवश्यकता पर जोर दिया और साथ ही उन लोगों के लिए इलाज यकीनी बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जो पहले से ही नशों के आदी हैं।
उन्होंने कहा कि हार्म रिडक्शन के हिस्से के रूप में, पंजाब सरकार द्वारा जल्द ही सभी मेडिकल कॉलेजों में तरल मेथाडोन की खुराक शुरू करने जा रही है, जो नशा पीड़ितों को मुख्य धारा में लाने के लिए बहुत प्रभावशाली साबित हुई है।
नशा पीड़ितों के इलाज को चुनौतीपूर्ण बताते हुए डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि इससे निपटने के लिए डॉक्टरों द्वारा नशा पीड़ितों को टीके वाले नशों का उपयोग रोकने के लिए मुँह से दी जाने वाली दवाओं जैसे कि बूपीएनएक्स (बुप्रेनोर्फीन + नालोक्सोन) या तरल मेथाडोन की खुराक या कोई अन्य तरीका अपनाया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘नशा मुक्ति इलाज के बाद, हम मरीज को पुनर्वास केंद्र में भेजेंगे और उसे मुख्य धारा में लाने के लिए कौशल विकास पाठ्यक्रम प्रदान करेंगे।’ उन्होंने आगे कहा कि वे मरीज को नशे की पुनः उपयोग की संभावना को रोकने के लिए एक अच्छी नौकरी प्रदान करने हेतु रोजगार उत्पादन विभाग को भी जोड़ेंगे।
मंत्री ने नशों के पुनः उपयोग संबंधी रोकथाम और स्टिग्मा रिडक्शन संबंधी प्रयासों को बढ़ाने के लिए एनजीओज़ के समर्थन की भी मांग की। उन्होंने कहा, ‘नशा एक बीमारी है, अपराध नहीं। हमें पीड़ितों के साथ हमदर्दी से संपर्क करना चाहिए और उन्हें सम्मानजनक ढंग से समाज की मुख्य धारा में शामिल करने के लिए कौशल से लैस करना चाहिए।’ उन्होंने पुनर्वास केंद्रों और सामुदायिक सहायता समूहों का विस्तार करने के लिए धार्मिक संगठनों के साथ सहयोग बढ़ाने का भी प्रस्ताव रखा।
डॉ. बलबीर सिंह ने पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के बीच बेहतर तालमेल और खुफिया जानकारी साझा करने के लिए डेटा इंटेलिजेंस यूनिट स्थापित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया, जो खास क्षेत्रों में नशों के उपयोग के बारे में पता लगाने में मदद करेगा और उसी अनुरूप रणनीतियाँ तैयार करेगा। मीटिंग दौरान विभिन्न सत्रों में पीआर लीडरशिप इनिशिएटिव और मॉडल नशा मुक्ति केंद्रों आदि सहित अन्य रोकथाम कदमों की भी समीक्षा की गई।
उन्होंने सभी एनजीओज़ को मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के ‘रंगला पंजाब’ के सपने को साकार करने के लिए पंजाब को नशा मुक्त राज्य बनाने हेतु आगे आने का आह्वान किया।
मीटिंग में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य और परिवार भलाई कुमार राहुल, एडीजीपी नीलाभ किशोर, एमडी एनएचएम घनश्याम थोरी, एमडी पीएचएससी अमित तलवार, डीआईजी एएनटीएफ संजीव रामपाल, एआईजी एएनटीएफ अश्विनी गोटियाल, निदेशक स्वास्थ्य और परिवार भलाई डॉ. हितिंदर कौर, एडी (मानसिक स्वास्थ्य) डॉ. संदीप भोला, चेयरमैन होम्योपैथी कौंसिल डॉ. टी.पी. सिंह, गवर्नेंस फेलो – सुजीत किशन, आरियन साहि, अंशू गुप्ता, श्रीजीता चक्रवर्ती और नेहा चौधरी सहित विभिन्न एनजीओ के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।