वक्फ कानून के बाद अब यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) अब केंद्र सरकार के टॉप एजेंडे में है। सूत्रों के मुताबिक संसद के दोनों सदनों में वक्फ बिल को मिले समर्थन को देखते हुए सरकार ने UCC पर काम आगे बढ़ाने का फैसला किया है।
दरअसल, लोकसभा चुनाव में भाजपा बहुमत से पीछे रह गई। बहुमत के लिए वह जनता दल-यूनाइटेड (JDU) और तेलुगु देशम पार्टी (TDP) पर निर्भर है। संसद के अंकगणित को ध्यान में रखते हुए सरकार ने विवादित मुद्दे किनारे रखने की रणनीति अपनाई थी।
हालांकि, वक्फ बिल को JDU और TDP के अलावा YSRCP और BJD जैसे दलों का भी समर्थन मिला था। इसके बाद सरकार UCC पर आगे बढ़ने का मन बना चुकी है।
इसके अलावा तमिलनाडु में AIADMK को साथ लेने के बाद भाजपा परिसीमन और भाषा जैसे मुद्दों को किनारे लगाना चाहती है। तमिलनाडु में अगले साल चुनाव हैं। इन मुद्दों से DMK को फायदा हो सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अप्रैल को हरियाणा में कहा- जब-जब कांग्रेस को सत्ता का संकट दिखा, उन्होंने संविधान को कुचल दिया। संविधान की भावना है कि सबके लिए एक जैसी नागरिक संहिता हो, जिसे मैं सेक्युलर सिविल कोड कहता हूं। कांग्रेस ने इसे कभी लागू नहीं किया। उत्तराखंड में भाजपा सरकार आने के बाद सेक्युलर सिविल कोड डंके की चोट पर लागू हुआ। संविधान को जेब में लेकर बैठे कांग्रेस के लोग उसका विरोध कर रहे हैं।
23वां विधि आयोग UCC का फाइनल ड्राफ्ट तैयार करेगा जस्टिस (रिटायर्ड) रितुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाले 22वें विधि आयोग ने UCC का ड्राफ्ट तैयार करके सार्वजनिक राय के लिए जारी किया था। आयोग को इस पर करीब एक करोड़ लोगों की राय मिली थी।
22वां विधि आयोग करीब 30 संगठनों से बातचीत कर चुका था। लेकिन आयोग का कार्यकाल खत्म होने से UCC का अंतिम ड्राफ्ट तैयार करने का काम ठंडे बस्ते में चला गया।
हालांकि, अब UCC पर आगे बढ़ने के लिए विधि आयोग को फिर सक्रिय किया जा रहा है। 23वें विधि आयोग की अधिसूचना 2 सितंबर, 2024 को जारी हुई थी। अब करीब 7 महीने बाद इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति पर फैसला हो चुका है।