चंडीगढ़, 22 मार्च
आम आदमी पार्टी (आप) की अगुआई वाली पंजाब सरकार के 2022 में कार्यभार संभालने के बाद लागू की गई आबकारी नीतियों की सफलता को प्रदेश के शराब राजस्व में शानदार मील का पत्थर का श्रेय देते हुये पंजाब के वित्त, योजना, आबकारी एवं कराधान मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने आज यहां घोषणा की कि प्रदेश के आबकारी राजस्व में पिछले तीन वर्षों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, जो कि वर्ष 2021-2022 के 6254 करोड़ रुपये के मुकाबले 10200 करोड़ रूपये से अधिक हो गया है। उन्होंने कहा कि पंजाब के इतिहास में पहली बार आबकारी राजस्व पांच अंकों के आंकड़े को पार करेगा, और इसमें वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए निर्धारित 10145 करोड़ रुपये के लक्ष्य को पार करने की संभावना है।
यहां पंजाब भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने आबकारी विभाग की प्राप्तियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस साल ई-टेंडर की सफलता ने पंजाब आबकारी विभाग के लिए लगातार चौथे वर्ष शानदार विकास का मापदंड स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि आबकारी विभाग को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए परचून शराब लाइसेंसों की अलॉटमेंट के लिए चल रही ई-टेंडर प्रक्रिया में भारी समर्थन मिला है। उन्होंने बताया कि विभाग ने 207 परचून शराब समूहों के लिए 9017 करोड़ रुपये का आरक्षित मूल्य रखा है। 20 मार्च तक इन समूहों में से 179, जो कुल का 87 प्रतिशत बनता है, को सफलतापूर्वक आवंटित किया गया है और 7810 करोड़ रुपये के आरक्षित मूल्य के मुकाबले प्रीमियम के रूप में अतिरिक्त 871 करोड़ रुपये के साथ 8681 करोड़ रुपये की डिस्कवर्ड कीमत प्राप्त की गई है।
वित्त मंत्री ने आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 11020 करोड़ रुपये के महत्वपूर्ण लक्ष्य को प्राप्त करने का भरोसा व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ई-टेंडरिंग प्रक्रिया को मिला जबरदस्त समर्थन दर्शाता है कि विभाग इस लक्ष्य को पार करने की संभावना के साथ लगभग 11800 करोड़ रुपये तक की प्राप्तियां करेगा, जो पिछले साल के शराब राजस्व से 16 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
वित्त मंत्री चीमा ने इस मौके पर अकाली-भाजपा गठबंधन और कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली सरकारों की आबकारी राजस्व बढ़ाने में असफल रहने की आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि वर्ष 2002 से 2007 तक कांग्रेस के शासन के दौरान शराब राजस्व 6.9 प्रतिशत घटा, जो 2002 में 1462 करोड़ रुपये से घटकर 2007 में 1363 करोड़ रुपये रह गया। उन्होंने आगे बताया कि एक दशक लंबे अकाली-भाजपा शासन के दौरान प्रदेश के लोगों ने पहली बार ‘माफिया’ शब्द सुना। उन्होंने कहा कि इस गठबंधन द्वारा अपने कुछ चुनावों को लाभ पहुंचाने के लिए लागू की गई शराब नीति के कारण वर्ष 2015-16 में प्राप्त हुए 4796 करोड़ रुपये के मुकाबले वर्ष 2016-17 में लगभग 400 करोड़ रुपये के घाटे के साथ राजस्व 4400 करोड़ रुपये रह गया। उन्होंने आगे कहा कि 2017 से 2022 तक कांग्रेस के शासन ने भी इसी तरह के चलन का पालन किया, शराब राजस्व इस शासन के पहले तीन वर्षों में लगभग स्थिर ही रहा और वित्तीय वर्ष 2021-22 तक केवल 6200 करोड़ रुपये तक ही पहुंच सका। उन्होंने कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान हुई दुखद जहरीली शराब की घटना को भी याद किया, जिसमें 128 आर्थिक रूप से पिछड़े व्यक्तियों की जान गई थी।
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की अगुआई वाली पंजाब सरकार की पारदर्शिता, कुशलता और आगे बढ़ने की नीतियों के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस का समापन करते हुए वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि आबकारी राजस्व में यह प्राप्ति उन शराब नीतियों की सफलता का प्रमाण है, जो प्रदेश के राजस्व में अभूतपूर्व वृद्धि में अहम भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि ‘आप’ की अगुआई वाली पंजाब सरकार प्रदेश के राजस्व को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि इसकी वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित की जा सके और इस राजस्व का उपयोग समाज के हर वर्ग की बेहतरी के लिए किया जा सके।