स्पीकर कुलतार संधवां ने शताब्दी समारोह में शामिल होने के लिए सभी लोगों को किया आमंत्रित

चंडीगढ़, 13 जून

पंजाब विधानसभा के स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने सिख इतिहास और शताब्दी समारोहों को मनाने में सामूहिक प्रयासों के महत्व पर जोर दिया और एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी से इन आयोजनों को राजनीतिक चश्मे से न देखने का आग्रह किया है।

पंजाब सरकार की पहलों पर धामी की हालिया टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए संधवां ने कहा कि यह समारोह किसी खास राजनीतिक दल का नहीं है बल्कि यह सिख धर्म की विरासत का सम्मान करने के लिए है।

संधवां ने कहा, “सिख समुदाय का बलिदान, निस्वार्थ भाव और सार्वभौमिक सद्भावना का इतिहास पूरी मानवता का है। इस विरासत को दुनिया के साथ साझा करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। इसलिए पंजाब सरकार ने गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत वर्षगांठ और अमृतसर के 450वें स्थापना दिवस को वैश्विक मंच पर सिख शिक्षाओं व मूल्यों को प्रदर्शित करने के लिए कार्यक्रमों व समारोहों की घोषणा की है।

श्री गुरु तेग बहादुर की अद्वितीय शहादत का जिक्र करते हुए संधवां ने कहा कि इस तरह के ऐतिहासिक आयोजनों का इस्तेमाल सिख मूल्यों को वैश्विक पहचान के लिए अक्सर किया जाना चाहिए। संधवां ने वैश्विक एकता के प्रतीक के रूप में श्री हरमंदिर साहिब और अमृतसर शहर के महत्व पर भी जोर दिया, जो सभी धर्मों के लोगों का स्वागत करता है।

वहीं शताब्दी समारोह मनाने में सरकार की भागीदारी पर धामी के सवालों पर संधवां ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की पहल की गई है। उन्होंने पिछली सरकारों द्वारा गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व तथा पटना साहिब में गुरु गोबिंद सिंह जी की 350वें जन्मदिवस मनाने का उदाहरण दिया।

एसजीपीसी अध्यक्ष धामी को संबोधित करते हुए संधवां ने कहा, “आप एसजीपीसी के अध्यक्ष हैं, जो सिख पंथ का प्रतिनिधि निकाय है। आप किसी खास पार्टी के राजनीतिक नेता नहीं हैं। आपकी भूमिका सिख धर्म की पवित्रता और विरासत को बनाए रखना है, न कि विभाजन पैदा करना।”

विधानसभा अध्यक्ष ने सार्थक और प्रभावशाली समारोह सुनिश्चित करने के लिए एसजीपीसी सहित सभी संगत से सुझाव मांगने के पंजाब सरकार के समावेशी दृष्टिकोण की सराहना की। उन्होंने एसजीपीसी अध्यक्ष धामी से भी आपत्तियां जताने के बजाय रचनात्मक सुझाव देने का आग्रह किया।

सिख समुदाय को संबोधित करते हुए संधवां ने सिख मूल्यों और परंपराओं को बनाए रखने की अपील की और उम्मीद जताई कि हम सभी पक्षों की ओर से रचनात्मक प्रयास सुनिश्चित करेंगे ताकि शताब्दी समारोह अच्छे से मनाए जाएं और सिख धर्म के सार्वभौमिक संदेश को बढ़ावा दिया जाए।

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