केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू के लगातार दिए जा रहे बयानों से जहां विरोधी सक्रिय हो गए हैं, वहीं बिट्टू के बयान उनकी ही पार्टी के लिए खतरे की घंटी साबित हो रहे हैं। दरअसल, रवनीत बिट्टू ने 4 सीटों पर उपचुनाव लड़ रहे बीजेपी उम्मीदवारों के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है। कुछ दिन पहले रवनीत बिट्टू ने खुद को मुख्यमंत्री पद का प्रमुख दावेदार बताया था, जिसे लेकर पार्टी के अंदर चर्चा छिड़ गई।
अब रवनीत के इन ब्यानों पर पार्टी के वरिष्ठ नेता हरजीत ग्रेवाल का ब्यान साहमने आया है। उन्होने कहा कि अगर बिट्टू को दावेदारी करनी ही है तो उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पद पर दावेदारी करनी चाहिए। अब चारों सीटें ग्रामीण इलाकों में हैं, जहां जाट सिख वोट बैंक काफी अहम है। ऐसे में रवनीत बिट्टू ने किसान नेताओं की संपत्तियों की जांच कराने का बयान दिया है। रवनीत के इस ब्यान से न सिर्फ किसान नाराज हुए, बल्कि विरोधियों ने भी बीजेपी से स्पष्टीकरण की मांग की है। इस के बाद अब रवनीत बिट्टू ने लुगदी और अफीम के ठेके भी दोबारा खोलने का बयान दिया है।
उनका कहना है कि वे इस बारे में केंद्र सरकार से बात करेंगे और जब पंजाब में हरित क्रांति आई तो लोगों को पोस्त की लत लग गई है। इसी लिए पंजाब में चिट्टे जैसा नशा आया है। इस पर विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने पलटवार किया है। उन्होने कहा है कि ऐसा लगता है कि बिट्टू अपना होश खो बैठे हैं। ृबिट्टू को याद रखना चाहिए कि हरित क्रांति पारंपरिक दवाओं के सेवन से नहीं, बल्कि पंजाबी किसानों की लगन और कड़ी मेहनत से आई है। उन्होंने कहा कि रवनीत बिट्टू को अपने ब्यान के लिए पंजाब के किसानों से माफी मांगनी चाहिए। दूसरी तरफ रवनीत बिट्टू के ब्यानों पर बात करते हुए कई बीजेपी नेताओं का कहना है कि बिना वजन वाले बयानों से पार्टी को चारों सीटों पर भारी नुकसान हो सकता है।