पंजाब की नशा मुक्ति यात्रा: शहीदों की धरती से एक नया संदेश

 

पंजाब, जो अपने वीरों और शहीदों की धरती के रूप में जाना जाता है, आज एक नई लड़ाई लड़ रहा है। यह लड़ाई नशों के खिलाफ है, जिसने पंजाब की नौजवान पीढ़ी को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। लेकिन अब, पंजाब के लोगों, सरकार और सामाजिक संस्थाओं ने मिलकर नशों के खिलाफ एक जंग छेड़ दी है। इस जंग का नेतृत्व करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शहीद भगत सिंह नगर में ‘नशा मुक्ति यात्रा’ की शुरुआत की। यह मुहिम सिर्फ एक सरकारी पहल नहीं, बल्कि पूरे पंजाब की जनता की साझी लड़ाई बन गई है।

नशों की लत ने पंजाब के सामाजिक ताने-बाने को ढहते-ढेरी कर दिया है। लेकिन, अब गाँव-गाँव इस लत को तोड़कर नशा मुक्त होने का ऐलान कर रहे हैं। इसकी मिसाल गाँव लंगड़ोआ है, जिसने खुद को नशा मुक्त गाँव घोषित किया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गाँव वासियों की इस पहल की तारीफ करते हुए कहा कि यह पंजाब के लिए एक मिसाल है। पंजाब सरकार ने ‘युद्ध नशों के खिलाफ’ मुहिम के तहत 351 गाँवों में रोजाना नशों के खिलाफ ग्राम सभाओं का आयोजन करने का फैसला किया है। हर विधानसभा क्षेत्र में 3 गाँवों को इस मुहिम के दायरे में लिया जाएगा, ताकि पूरे पंजाब को नशों से मुक्त किया जा सके।

यह मुहिम सिर्फ नशों के खिलाफ एक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि पंजाब के सामाजिक जीवन में एक बड़ा बदलाव लाने की कोशिश है। नशे सिर्फ स्वास्थ्य को ही नहीं, समाज की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति को भी पीछे धकेलते हैं। पंजाब के नौजवान, जो किसी समय देश की रक्षा और विकास में अगुआई करते थे, अब नशों के अंधेरे में खो रहे हैं। इसलिए, यह मुहिम सिर्फ नशों को खत्म करने की नहीं, बल्कि पंजाब के नौजवानों को एक नई दिशा देने की भी कोशिश है।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाब से नशों को जड़ से खत्म करने का अहद किया है। यह अहद सिर्फ सरकारी इच्छाशक्ति नहीं, बल्कि पंजाब के हर नागरिक की जिम्मेदारी है। गाँवों में नशों के खिलाफ ग्राम सभाएँ, नौजवानों को रोजगार के मौके प्रदान करना, नशा मुक्त क्लीनिकों की स्थापना, और सामाजिक जागरूकता इस मुहिम के मुख्य आधार हैं।

पंजाब की यह नशा मुक्ति यात्रा साबित करती है कि जब समाज और सरकार मिलकर कोई लक्ष्य हासिल करने का फैसला कर लेते हैं, तो कोई भी चुनौती असंभव नहीं रहती। शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु जैसे वीरों ने पंजाब को आजादी दिलाने के लिए जानें कुर्बान की थीं। आज, पंजाब को नशों से आजाद कराने की लड़ाई में भी वही जज्बा और जोश दिखाई दे रहा है।

यह मुहिम सफल होगी, क्योंकि इसमें पंजाब की जनता की साझी इच्छाशक्ति शामिल है। नशा मुक्त पंजाब का सपना हकीकत में बदलेगा, और यह धरती दोबारा अपने वीरों और महान शहीदों के सिरमौर इतिहास को सच करेगी।

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