पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने वर्ष 2024 में रिश्वत लेते रंगे हाथों 173 आरोपियों को गिरफ्तार किया: चीफ डायरेक्टर वरिंदर कुमार

 

चंडीगढ़, 1 जनवरी 2025 –

समाज से भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने, रिश्वतखोरों पर लगाम लगाने और सार्वजनिक क्षेत्र से इस सामाजिक बुराई को समाप्त करने के उद्देश्य से, पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने दृढ़ता के साथ बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया और वर्ष 2024 के दौरान 173 आरोपियों को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया।
इस संबंध में जानकारी देते हुए विजिलेंस ब्यूरो के चीफ डायरेक्टर-कम-स्पेशल डीजीपी वरिंदर कुमार ने बताया कि विजिलेंस ब्यूरो ने वर्ष 2024 के दौरान विभिन्न विभागों के 139 अधिकारियों/कर्मचारियों और 34 आम व्यक्तियों को 134 ट्रैप मामलों में रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा। 1 जनवरी से 31 दिसंबर, 2024 तक भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों में 10 गजेटेड अधिकारी (जी.ओ.) और 129 नॉन-गजेटेड अधिकारी (एन.जी.ओ.) गिरफ्तार किए गए।विजिलेंस ब्यूरो के प्रमुख ने बताया कि इस साल अन्य विभागों के अलावा पंजाब पुलिस के 53, राजस्व विभाग के 33, बिजली विभाग के 9, पंचायत और ग्रामीण विकास के 3, स्वास्थ्य विभाग के 8, स्थानीय निकाय विभाग के 18, खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के 3 कर्मचारियों को विभिन्न मामलों में रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। इसके अतिरिक्त, वन विभाग, श्रम विभाग, वित्त विभाग और परिवहन विभाग के दो-दो कर्मचारियों को भी भ्रष्टाचार के मामलों में गिरफ्तार किया गया।

ब्यूरो की कार्रवाई के बारे में और जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि विजिलेंस ब्यूरो ने आरोपियों के खिलाफ 124 आपराधिक मामले दर्ज किए हैं, जिनमें 29 गजेटेड अधिकारी, 117 नॉन-गजेटेड अधिकारी और 117 आम नागरिक शामिल हैं। इसके अलावा, 26 गजेटेड अधिकारियों, 27 नॉन-गजेटेड अधिकारियों और 7 अन्य आम व्यक्तियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच के लिए 60 विजिलेंस जांचें दर्ज की गईं। साथ ही, 3 नॉन-गजेटेड अधिकारियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति बनाने के 3 मामले भी दर्ज किए गए।

इसके अलावा, 1 गजेटेड अधिकारी और 1 नॉन-गजेटेड अधिकारी को विजिलेंस ब्यूरो द्वारा दर्ज मामलों में अदालतों द्वारा दोषी ठहराए जाने के कारण संबंधित प्रशासनिक विभागों द्वारा नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। उन्होंने आगे बताया कि ब्यूरो ने इस साल 71 विजिलेंस जांचों को पूरा किया।

इस संबंध में विवरण साझा करते हुए डीजीपी विजिलेंस ब्यूरो ने बताया कि विभिन्न सक्षम अदालतों ने भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत ब्यूरो द्वारा दर्ज किए गए 41 मामलों में 50 दोषी आरोपियों को सजा सुनाई। इनमें 3 गजेटेड अधिकारी, 31 नॉन-गजेटेड अधिकारी और 16 आम व्यक्ति शामिल हैं, जिन्हें एक साल से सात साल तक की सजा दी गई। अदालतों ने इन मामलों में दोषियों पर 5,000 रुपये से लेकर 5,00,000 रुपये तक के जुर्माने भी लगाए, जिनकी कुल राशि 22,42,000 रुपए बनती है।

पिछले साल मनाए गए विजिलेंस जागरूकता सप्ताह के दौरान विजिलेंस ब्यूरो ने जागरूकता अभियानों को प्रभावी ढंग से लागू किया। इसके तहत समाज से भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सेमिनार और सार्वजनिक बैठकें आयोजित की गईं। ब्यूरो के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने ईमानदारी की शपथ भी ली।

उन्होंने आगे बताया कि पिछले साल भ्रष्टाचार के मामलों में जिन प्रमुख अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया या जिनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए, उनमें आईएएस अधिकारी विनय बुबलानी, पीसीएस अधिकारी हरप्रीत सिंह (सहायक श्रम आयुक्त, होशियारपुर), एसीपी निर्देश कौर (लुधियाना), कार्यकारी अभियंता रणबीर सिंह और राजिंदर सिंह, डीसीएफए पंकज गर्ग, सीटीपी पंकज बावा, बाजवा डिवेलपर्स मोहाली के मालिक जरनैल सिंह बाजवा, और चिकित्सा अधिकारी डॉ. नरिंदरपाल सिंह शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, क्रमशः लुधियाना, फिरोजपुर और मोहाली में तैनात बीडीपीओ गुरमुख सिंह, सरबजीत सिंह और कुलविंदर सिंह, बलदेव राज (डीएफएसओ), तहसीलदार सुखचैन सिंह और लखविंदर सिंह, दीपक बिल्डर्स के दीपक कुमार सिंगल, चीफ इंजीनियर अरविंदर सिंह, और कार्यकारी अभियंता परमजीत सिंह और सरबराज कुमार को भी गिरफ्तार किया गया है।

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