चंडीगढ़, 4 दिसंबर
पंजाब के बागवानी मंत्री महिंदर भगत ने बुधवार को चंडीगढ़ के सेक्टर 35-ए स्थित किसान भवन में सिल्क मार्क एक्सपो-2024 का उद्घाटन किया। सिल्क मार्क ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया, सेंट्रल सिल्क बोर्ड द्वारा पंजाब और हरियाणा के बागवानी विभागों के सहयोग से आयोजित किया गया यह पहला समागम है। मंत्री ने इस अवसर पर ‘द जर्नी ऑफ सेरिकल्चर इन पंजाब’ शीर्षक वाला एक ब्रोशर भी जारी किया। यह राज्य में रेशम की खेती के विकास, पहल और उपलब्धियों को उजागर करता है। इस एक्सपो का उद्देश्य रेशम की खेती को प्रोत्साहित करना और देशभर के कारीगरों व व्यापारियों को एक उपयुक्त मंच प्रदान करना है।
समागम की शुरुआत दीप प्रज्वलन की रस्म से हुई, जिसे ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस मौके पर बागवानी सचिव श्री अजीत बालाजी जोशी, केंद्रीय सिल्क बोर्ड के सदस्य सचिव श्री पी. शिवाकुमार और पंजाब बागवानी निदेशक श्रीमती शैलेंद्र कौर सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
एकत्रीकरण को संबोधित करते हुए मंत्री महिंदर भगत ने रेशम की खेती में पंजाब की शानदार प्रगति की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य में गुरदासपुर, पठानकोट, होशियारपुर और रोपड़ के चार जिलों में रेशम का उत्पादन होता है। उन्होंने बताया कि राज्य में 13 सरकारी सेरिकल्चर फार्म हैं, जहां तकनीकी कर्मचारियों की सहायता से रेशम के कीड़ों का पालन किया जाता है।
मंत्री महिंदर भगत ने कहा, “पंजाब में कोकून की कीमत 550 रुपए प्रति किलोग्राम से बढ़कर 1,250 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई है, जो सरकारी प्रयासों के चलते संभव हुआ है। सरकार रेशम किसानों, विशेष रूप से इस क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं को उचित मुआवजा सुनिश्चित कर रही है। राज्य ग्रामीण समुदायों को सशक्त करने के लिए इस क्षेत्र के विस्तार के लिए प्रतिबद्ध है।”
मंत्री भगत ने ‘स्कॉच नेशनल अवार्ड-2024’ का प्रतिष्ठित सिल्वर पुरस्कार जीतने पर गर्व व्यक्त किया और रेशम खेती के क्षेत्र में पंजाब की उपलब्धियों की सराहना की। यह पुरस्कार रेशम की कृषि प्रोजेक्ट के माध्यम से “महिला सशक्तिकरण और सामाजिक-आर्थिक विकास” को बढ़ावा देने के लिए दिया गया है।
उन्होंने आगे कहा कि राज्य ने अपने रेशम खेती के बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण सुधार किया है, जिससे कोकून का उत्पादन सालाना 29,000 किलोग्राम तक पहुंच गया है। ‘पंजाब सिल्क’ ब्रांड को लॉन्च करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए सिल्क रीलींग यूनिट स्थापित करने की योजनाएं चल रही हैं।
उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र को और प्रोत्साहन देने के लिए किसानों को रेशम के कीड़ों के पालन के लिए शेड्स, आवश्यक उपकरण आदि पर 65 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि रेशम खेती करने वाले किसानों में 60 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं।
मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार ने राज्य स्तर पर रेशम बीज उत्पादन को सक्षम बनाने और रेशम किसानों को यह बीज किफायती दरों पर उपलब्ध कराने के लिए डलहौजी में बंद पड़े सिल्क सीड प्रोडक्शन सेंटर को फिर से सक्रिय कर दिया है।
उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ग्रामीण समुदायों को सशक्त करने, टिकाऊ आजीविका प्रदान करने, रेशम उद्योग को मजबूत करने, इसके विकास व विश्व स्तर पर मान्यता को यकीनी बना रही है।
समारोह को संबोधित करते हुए बागवानी विभाग के सचिव श्री अजीत बालाजी जोशी ने रेशम किसानों और कारीगरों की आजीविका बढ़ाने में सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि सिल्क एक्सपो जैसी पहल रेशम उद्योग को प्रोत्साहित करने और राज्य में रेशम व्यापार से जुड़ी महिलाओं के लिए स्थायी अवसर पैदा करने का लक्ष्य रखती है।
केंद्रीय रेशम बोर्ड के सदस्य सचिव श्री पी. शिवकुमार ने रेशम खेती को बढ़ावा देने के पंजाब सरकार के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने राज्य में रेशम खेती की गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए बोर्ड के पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।
इस मौके पर बागवानी विभाग के निदेशक श्रीमती शैलेंद्र कौर ने रेशम कृषि में राज्य की तरक्की व सरकारी पहलों और सहायता के माध्यम से किसानों को सक्षम बनाने में इसकी भूमिका के बारे में बताया।
समागम दौरान, पंजाब बागवानी क्षेत्र की उपलब्धियों और योजनाओं पर आधारित एक लघु फिल्म भी प्रस्तुत की गई।
समागम से पहले मंत्री महिंदर भगत ने विभिन्न राज्यों के स्टालों का दौरा किया और कारीगरों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कारीगरों व प्रदर्शनी कारों के प्रयासों की प्रशंसा की और क्षेत्रीय शिल्पकारी को उत्साहित करने के लिए ऐसे प्रदर्शनों की महत्ता को उजागर किया।
9 दिसंबर तक चलेने वाले इस एक्सपो में पंजाब, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और बिहार जैसे राज्यों के कारीगरों और व्यापारियों की ओर से स्टाल लगाए गए। केंद्रीय रेशम बोर्ड के अधीन पंजीकृत संस्थाएं साड़ियों, स्टालों और घरेलू सजावट की वस्तुओं सहित शुद्ध रेशम उत्पादों का एक प्रकार का प्रदर्शन भी कर रही हैं।
इनाम वितरण समारोह के दौरान, मंत्री महिंदर भगत ने रेशम खेती को आगे बढ़ाने और किसानों की भलाई में सहायता करने के लिए समर्पित प्रयासों के लिए विभागीय अधिकारियों सहित रेशम क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित भी किया।
इस कार्यक्रम के दौरान उपस्थित प्रमुख व्यक्तियों में विभाग प्रमुख (विशेष) बागवानी हरियाणा डॉ. अर्जुन सिंह सैनी, संयुक्त निदेशक पंजाब बागवानी डॉ. तजिंदर सिंह बाजवा, वैज्ञानिक केंद्रीय रेशम बोर्ड (सी.एस.बी.) एन.एस. गहीलोत, उप सचिव सी.एस.बी. दसरथी बेहेरा, डीडीएच-कम-नोडल अधिकारी पंजाब सेरीकल्चर डॉ. दलबीर सिंह, डिप्टी निदेशक पंजाब बागवानी डॉ. हरप्रीत सिंह सेठी, डीडीएच-कम-सेरीकल्चर अधिकारी सुजानपुर डॉ. शम्मी कुमार, ए.डी.एच.-कम-सेरीकल्चर अधिकारी मुकेरियां डॉ. बलविंदर सिंह, सेरीकल्चर मैनेजर अवतार सिंह, सहायक स. नोडल अधिकारी सेरीकल्चर श्रीमती मीनू और बागवानी विकास अधिकारी डॉ. लखबीर सिंह शामिल थे।