पराली जलाने वाले किसानों की भूमि अभिलेखों में लाल प्रविष्टियां दर्ज की जाएंगी, जिसके परिणामस्वरूप उनके शस्त्र लाइसेंस जारी या नवीनीकृत नहीं किए जाएंगे। गांवों में शस्त्र लाइसेंस प्रतिष्ठा का प्रश्न माना जाता है। आगामी पंचायत चुनावों से पहले लिया गया यह निर्णय राजनीतिक विवाद पैदा कर सकता है क्योंकि किसान संघ पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ राज्य सरकार की कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं।
पंजाब में धान की कटाई के मौसम के दौरान एक सप्ताह में पराली जलाने के पांच दर्जन से अधिक मामलों को देखते हुए पंजाब सरकार ने आज चेतावनी दी है कि पराली जलाने वाले किसानों की भूमि रिकॉर्ड में ‘रेड एंट्री’ दर्ज की जाएगी। इतना ही नहीं, बल्कि जिन किसानों की भूमि रिकॉर्ड में ‘रेड एंट्री’ होगी, वे न तो नए हथियार लाइसेंस के लिए आवेदन कर पाएंगे और न ही उनके पुराने लाइसेंस का नवीनीकरण किया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक अगले कुछ दिनों में जिला प्रशासन की ओर से इस संबंध में औपचारिक आदेश जारी कर दिया जाएगा। हालांकि, कुछ जिलों में ये आदेश पहले ही जारी किए जा चुके हैं। पंजाब में 15 सितंबर से शुरू हुई पराली जलाने के आज 11 मामले सामने आए। यह इस सीजन के एक दिन में सामने आए सबसे ज्यादा मामले हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 6 मामले अमृतसर में, चार मामले गुरदासपुर में और एक मामला पटियाला में सामने आया है। सैटेलाइट तस्वीरों से राज्य में पराली जलाने के 11 मामले सामने आए हैं, जबकि 2022 में इस दिन ऐसे मामलों की संख्या 30 थी और 2023 में इस दिन पराली जलाने का एक भी मामला सामने नहीं आया था।
दूसरी ओर, किसान संघ मांग कर रहे हैं कि उन्हें पराली के निपटान के लिए पर्याप्त मुआवजा दिया जाए। किसान यूनियनों का कहना है कि पराली के निस्तारण में पंजाब सरकार के असहयोग के कारण किसान पराली जलाने को मजबूर हैं।