पंजाब सरकार का सवाल: भाजपा लीडर पंजाब के बारे में क्यों अच्छा नहीं सोचते?

 

पंजाब की राजनीति में हर मोड़ पर राजनीतिक दल एक-दूसरे पर तीखे वार करते रहते हैं। लेकिन जब बात पंजाब की आम जनता की भलाई और राज्य की अर्थव्यवस्था से जुड़े गंभीर मसलों की हो, तब राजनीतिक स्वार्थों और मकसदों से ऊपर उठकर बात करनी ज़रूरी हो जाती है। हाल ही में भाजपा द्वारा पंजाब सरकार की टैक्स नीतियों को लेकर जो बेबुनियाद आरोप लगाए गए हैं, उन्होंने न केवल सच्चाई को ठोकर मारी है, बल्कि जनता की समझदारी को भी नज़रअंदाज़ किया है।

भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने अपने कार्यकाल में टैक्स प्रणाली को सरल बनाने, व्यापारी वर्ग से संवाद बनाए रखने और राज्य की आय बढ़ाने की कोशिश की है। टैक्स लगाना या उसे बढ़ाना कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं होता; यह राज्य की आर्थिक स्थिति, ज़रूरतों और विकास योजनाओं को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। लेकिन भाजपा द्वारा इसे ‘टैक्स आतंकवाद’ कहकर जनता में भ्रम फैलाना, दरअसल एक चालाक राजनीतिक चाल है जो सच्चाई की बजाय अफवाहों पर आधारित है।

यह भी समझना ज़रूरी है कि भाजपा की केंद्र सरकार के कार्यकाल में ही जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) जैसी नीति लागू की गई, जिसने पूरे देश के राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता को प्रभावित किया। पंजाब जैसे राज्य, जो दशकों से आर्थिक संकटों से जूझ रहे हैं, उन नीतियों से अधिक प्रभावित हुए। फिर भी, पंजाब सरकार द्वारा विकास और जनसेवाओं के लिए जो आय एकत्र की जाती है, उसे ‘आतंकवाद’ से जोड़ना एक गैर-ज़िम्मेदाराना और असंवेदनशील बयानबाज़ी है।

जहाँ भाजपा द्वारा कमल की चमक को हर पीड़ित अर्थव्यवस्था में फैलाने की कोशिश होती है, वहीं स्थानीय सरकारों को ‘टैक्स आतंकवाद’ का लेबल लगाकर बदनाम करने की रणनीति आम हो गई है। लेकिन यह राज्य, जिसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि संघर्षों और बलिदानों से भरी हुई है, आज भी राजनीतिक अफवाहों की बजाय विकासपरक सच्चाइयों की मांग कर रहा है।

सच्चाई यह है कि जहाँ जनता की ज़रूरतें पूरी करने के लिए सरकार को आय की ज़रूरत होती है, वहाँ टैक्स एक आवश्यक साधन होता है – न कि कोई दमनकारी साज़िश। भाजपा जैसे राजनीतिक दलों को ज़िम्मेदारी के साथ आलोचना करनी चाहिए, न कि जनता के बीच भ्रम और अस्थिरता का माहौल बनाना चाहिए।

अंत में, भगवंत मान सरकार द्वारा भाजपा के आरोपों की कड़ी निंदा केवल राजनीतिक बयान नहीं है, बल्कि यह नीति-निर्माण की अस्थिरता के खिलाफ एक स्पष्ट आवाज़ है, जो राज्य की आर्थिक खुशहाली और जन-हितैषी विकास की वकालत करती है। आरोपों की छाया में सच्चाई की रोशनी को मिटाया नहीं जा सकता।

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