मोहाली में किसान नेताओं की गिरफ्तारी के बाद पंजाब सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है। शंभू बॉर्डर खोलने की प्रक्रिया के बीच पुलिस ने किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के संयोजक सरवण सिंह पंधेर और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल समेत कई आंदोलनकारी नेताओं को हिरासत में ले लिया।
इस कार्रवाई पर कांग्रेस ने आप सरकार पर भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाया। राजा वड़िंग ने इसे किसानों से विश्वासघात बताया, जबकि सुखबीर बादल ने कहा कि भगवंत मान सरकार किसानों की मांगों को सुनने तक को तैयार नहीं है। बिक्रम मजीठिया ने इसे धक्केशाही करार दिया।
इससे पहले, केंद्र सरकार और किसानों के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर सातवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही। बैठक के बाद जब किसान लौट रहे थे, तभी पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया, जिससे पंजाब का सियासी माहौल और गरमा गया है।
इधर, पंजाब पुलिस ने 13 महीने से बंद शंभू और खनौरी बॉर्डर को खोलने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। यहां से किसानों को हटा दिया गया है।
केंद्र में बीजेपी सरकार और पंजाब में आप सरकार- दोनों ने किसानों के साथ विश्वासघात किया और पीठ में छुरा घोंपने का काम किया है। आश्चर्य होता है कि जब केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों और किसानों के बीच बातचीत चल रही थी, तब पंजाब पुलिस ने किसान नेताओं को गिरफ्तार करने की आवश्यकता क्यों महसूस की?
क्या किसानों पर की गई यह कार्रवाई जनता का ध्यान पटियाला में 12 पंजाब पुलिस कर्मियों द्वारा एक सेवारत कर्नल के साथ की गई बर्बर मारपीट से भटकाने के लिए थी?