संसद सदस्य के रूप में शपथ लेते समय कोई नहीं कर सकेगा नारेबाजी, स्पीकर ने बदले नियम

 

इस बार संसद में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान ‘जय संविधान’ और ‘जय हिंदू राष्ट्र’ के नारे लगे। एक सदस्य ने तो ‘जय फिलिस्तीन’ का नारा भी लगाया, जिस पर कई सदस्यों ने आपत्ति जताई। 18वीं लोकसभा सत्र में इन नारों के सामने आने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सांसदों के लिए शपथ लेने के नियमों में संशोधन किया है जिसके अनुसार सांसद के रूप में शपथ लेते समय शपथ से पहले कोई अन्य नारा नहीं लगाया जा सकेगा ना ही कोई अन्य शब्द शपथ से पहले या बाद में बोलने में सक्षम होगा। यह बदलाव इस बार सांसदों के शपथ ग्रहण के बाद स्पीकर ने किया है, जब शपथ लेने के दौरान कई सदस्यों ने नारे लगाए।

सदन के कामकाज से संबंधित विशिष्ट मामलों के प्रबंधन के लिए ‘अध्यक्ष को निर्देश’ के अंतर्गत ‘निर्देश 1’ में एक नया खंड जोड़ा गया है, जो मौजूदा नियमों में स्पष्ट रूप से शामिल नहीं हैं। नए नियम के मुताबिक, अब भविष्य में शपथ लेने वाले निर्वाचित सांसदों को संविधान के तहत शपथ लेने के प्रारूप के मुताबिक शपथ लेनी होगी। अब सांसद शपथ लेते समय नारे नहीं लगा सकेंगे और न ही अपनी शपथ में कोई अन्य शब्द जोड़ सकेंगे।

 

लोकसभा अध्यक्ष के निर्देशानुसार लोकसभा में प्रक्रिया और कामकाज के नियमों (सत्तरवें संस्करण) के नियम 389 को प्रतिस्थापित किया गया है। अब नियम 389 के निर्देश-1 में खण्ड-2 के बाद एक नया खण्ड-3 जोड़ा गया है। संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने दावा किया कि कई सदस्यों ने शपथ लेने के पवित्र अवसर का इस्तेमाल राजनीतिक संदेश भेजने के लिए किया। इन नारों के चलते 24 और 25 जून को सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जुबानी जंग छिड़ गई थी।

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