शिरोमणि अकाली दल के बीच गुटबाजी को लेकर राजनीति गरमा गई है। यह गुटबाजी ऐसे समय में हो रही है, जब अकाली दल अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को पार्टी से निकालने का फैसला तानाशाही, असंवैधानिक और जल्दबाजी में लिया गया है। दरअसल, ये बातें शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्य संसदीय सचिव बाबू प्रकाश चंद गर्ग ने कही हैं।
उन्होंने वरिष्ठ नेताओं को पार्टी से बर्खास्त करने के फैसले पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल की अनुशासन समिति के अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़ द्वारा पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को पार्टी से बाहर करने का निर्णय तानाशाही, असंवैधानिक और बुखलाह्ट तरीके से लिया गया है। पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल पर पंथ विरोधी फैसले लेने के आरोप लगने से स्थिति काफी संवेदनशील हो गई है।
बाबू प्रकाश चंद गर्ग ने कहा कि पंजाब की जनता पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की विश्वसनीयता पर कई सवाल उठा रही है। सुखबीर बादल के नेतृत्व पर लोगों ने बार-बार कड़ा संदेश दिया है कि सुखबीर बादल को प्रधानगी पद से हट जाना चाहिए। लेकिन सुखबीर बादल चापलूसों और दिखावे से इस कदर घिरे हुए हैं कि उन्होंने त्याग की भावना ही छोड़ दी है। इस तरह का तानाशाही और मनमाना फरमान जारी कर वह पार्टी को धरातल की और ले जायेंगे।
उन्होंने कहा कि पार्टी में लोकतांत्रिक विचारधारा को बुरी तरह कुचलकर तानाशाही ने जगह बना ली है और पार्टी को किसी भी मुद्दे पर बिना ‘अपील या बहस’ के एक कंपनी की तरह चलाया जा रहा है। निकट भविष्य में पार्टी को इसका बुरा परिणाम भुगतना पड़ेगा।