धराली मलबे में दफन है। आसपास न सड़क बची, न बाजार। जहां नजर उठाओ, सिर्फ 20 फीट का मलबा और दिल चीरने वाला सन्नाटा है। जेसीबी जैसी बड़ी मशीनें 36 घंटे बाद भी नहीं पहुंच पाई हैं। आर्मी के जवान हाथों से बड़े-बड़े बोल्डरों वाले मलबे के नीचे जिंदगियां खोज रहे हैं।
150 से ज्यादा लोग दबे हो सकते हैं, क्योंकि जब सैलाब आया, उस वक्त गांव के लगभग सभी बुजुर्ग 300 मी. दूर पूर्वजों के मंदिर में सामूहिक पूजा में थे। वे बच गए। लेकिन गांव में मौजूद ज्यादातर युवा, कारोबारी और पर्यटक सैलाब की चपेट में आ गए।
भास्कर टीम धराली से 60 किमी दूर भटवारी में है। यहां से आगे सड़क टूट चुकी है। प्रशासनिक और बचाव टीमें बुधवार को भी आगे नहीं बढ़ पाईं। बड़ी मशीनें और अतिरिक्त टुकड़ियां धराली नहीं पहुंच पाई हैं, क्योंकि भटवाड़ी से धराली तक 60 किमी में करीब 5 जगह सड़क टूट चुकी है।
पूरा ऑपरेशन सेना को सौंप दिया गया है। गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर गंगनारी के पास पुल भी बह चुका है। सेना वैली ब्रिज बना रही है। गुरुवार को बन सकता है। फिर मदद पहुंचने लगेगी।
वायुसेना भी एमआई-17 हेलिकॉप्टर, एएलएच एमके-3 एयरक्राफ्ट के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटेगी। एएन-32 और सी-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट भी आगरा से देहरादून पहुंच चुके हैं। ये गुरुवार को उड़ान भर सकते हैं।