गुरुवार को चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी पंजाब ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सुनील जाखड़ के पंजाब के किसानों के खिलाफ दिए गए बयान पर पलटवार किया। आप का कहना है कि बीजेपी सरकार ने अपने 10 साल के शासनकाल में किसानों के साथ जो धोखा और जुल्म किया उसे कोई भी नहीं भूला है। इसलिए भाजपा और भाजपा पंजाब अध्यक्ष सुनील जाखड़ को किसानों के बारे में बात करने का भी कोई अधिकार नहीं है। दरअसल, आप कैबिनेट मंत्री हरभजन सिंह ईटीओ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सुनील जाखड़ पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि हमारे किसानों के खिलाफ भाजपा की गलत नीतियों की सूची बहुत लंबी है, लेकिन जाखड़ ने एक बार फिर अपना किसान विरोधी और पंजाब विरोधी चेहरा दिखाया है। भाजपा के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने से पहले किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, लेकिन अपने अमीर दोस्तों को अधिक लाभ पहुंचाने के लिए वे किसान विरोधी काला बिल ले आये। पूंजीपति मित्रों का हजारों करोड़ रुपये का कर्ज बार-बार माफ किया गया, लेकिन कर्ज माफ न होने के कारण किसान आत्महत्या करने को मजबूर हुए।
इसके साथ ही ईटीओ ने किसान आंदोलन का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि किसानों ने दो बार दिल्ली का दरवाजा खटखटाया और दोनों बार किसानों पर जुल्म हुआ और सैकड़ों किसान दिल्ली की सीमाओं पर मर गये। पहले किसान आंदोलन में 750 से ज्यादा किसानों की जान चली गई और किसानों की मौत के बाद मोदी सरकार को गलती का अहसास होते हुए कानूनों को रद्द कर दिया गया। दूसरे किसान आंदोलन का हवाला हुए कैबिनेट मंत्री ने कहा कि हमने कुछ महीने पहले हरियाणा और केंद्र की भाजपा सरकारों द्वारा हमारे किसानों पर हमला देखा है। किसानों पर गोलियाँ चलाई गईं, 20 साल के एक युवा किसान की मौत हो गई। इसके साथ ही ईटीओ ने सुनील जाखड़ से सवाल किया कि क्या उनके पास बीजेपी के इन सभी धोखे का जवाब है? हमारे किसानों पर हुए सभी अत्याचारों के लिए मोदी सरकार कब और कैसे माफ़ी मांगेगी?
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री मान सही कह रहे हैं, पहले बीजेपी ने किसानों को दिल्ली में घुसने नहीं दिया। अब किसान बीजेपी को गांवों में घुसने नहीं दे रहे हैं। हमेशा की तरह बीजेपी अपनी हार पचा नहीं पा रही है, इसलिए जाखड़ जैसा घटिया बयान दे रही है। इसके अलावा ईटीओ ने बीजेपी नेता पर आरोप लगाया कि जब पंजाब, पंजाबी और किसानों के लिए आवाज उठाने का समय आता है तो सुनील जाखड़ गायब हो जाते हैं। वह पंजाब और किसानों के मुद्दों पर कभी नहीं बोलते।