AAP की ग्राउंड आर्मी, संगठनात्मक मजबूती और व्यापारी समर्थन ने पलट दिए लुधियाना पश्चिम के राजनीतिक समीकरण
कैबिनेट में शामिल करने की घोषणा और केजरीवाल-मान की जोड़ी से मजबूत हुई अरोड़ा की स्थिति, AAP को मिल रही निर्णायक बढ़त
लुधियाना, 17 जून (ब्यूरो ऑफिस)- 19 जून को होने वाले लुधियाना पश्चिम विधानसभा उपचुनाव से पहले आज चुनाव प्रचार पूरी तरह से थम चुका है, और अब सबकी निगाहें वोटिंग और फिर नतीजों पर टिक गई हैं। लेकिन अगर ज़मीनी हकीकत, संगठनात्मक रणनीति, जन भावनाएं और राजनीतिक समीकरणों की बात करें, तो एक बात साफ़ झलकती है—आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रत्याशी संजीव अरोड़ा इस समय लुधिटाना में बाज़ी मारते दिख रहे हैं।
सर्वे और खुफिया रिपोर्टों में AAP आगे
सूत्रों की मानें तो पिछले कुछ दिनों के दौरान इस सीट को लेकर आम आदमी पार्टी ने अपने स्तर पर कुछ सर्वे करवाए थे। इसके साथ ही सरकारी खुफिया एजेंसियों का सर्वे भी पूरी तरह से आम आदमी पार्टी के पक्ष में नजर आ रहा है। पार्टी के अंदरूनी सर्वे, स्वतंत्र एजेंसियों की रिपोर्ट्स और खुफिया विभाग की फीडबैक सभी में यह स्पष्ट संकेत मिले हैं कि संजीव अरोड़ा को इस उपचुनाव में निर्णायक बढ़त प्राप्त है। सूत्रों के अनुसार, कम से कम तीन प्रमुख एजेंसियों की रिपोर्ट में AAP को क्लीन स्वीप करने की संभावना जताई गई है।
संगठन की ताकत: सिसोदिया की रणनीति का असर
पंजाब में आम आदमी पार्टी के संगठन को मजबूत करने का श्रेय पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जाता है। सिसोदिया ने पंजाब दौरे के दौरान न केवल लगातार कार्यकर्ताओं से संवाद किया, बल्कि निचले स्तर तक संगठन को सक्रिय किया। पार्टी ने ‘वर्कर फर्स्ट’ नीति अपनाकर स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को सम्मान और ज़िम्मेदारी दी, जिससे कार्यकर्ता का मनोबल और विश्वास दोनों बढ़ा।
ग्राउंड आर्मी का बेजोड़ अभियान
लुधियाना पश्चिम में पिछले 20 दिनों से AAP की ग्राउंड आर्मी हर गली–मोहल्ले में डटी हुई है।
बूथ स्तर पर ‘हर वोटर तक पहुँच’ अभियान चलाया गया। युवा कार्यकर्ता, महिलाएं, और पेशेवर वॉलंटियर्स ने लोगों की समस्याएं सुनकर उन्हें पार्टी के विज़न से जोड़ा। मोहल्ला मीटिंग्स, डोर-टू-डोर संपर्क और मिनी रैलियों के ज़रिए हर तबके तक पहुँच बनाई गई।
केजरीवाल और मान की ताकतवर अपील
मुख्यमंत्री भगवंत मान और AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कई रैलियों में हिस्सा लिया और साफ़ शब्दों में कहा:
“अगर संजीव अरोड़ा विधायक बनते हैं तो इस इलाके का एक भी काम पेंडिंग नहीं रहेगा।”
यह संदेश खासतौर पर व्यापारी वर्ग और स्थानीय उद्यमियों को बहुत भाया, क्योंकि वे जानते हैं कि सरकार और विधायक में तालमेल हो तो विकास रुकता नहीं।
*उद्योग जगत का विश्वास*
लुधियाना, जिसे “पंजाब का औद्योगिक इंजन” कहा जाता है, वहाँ व्यापारी वर्ग ने AAP की न्यूनतम सरकारी दखल और तेज़ प्रशासनिक प्रक्रिया की नीति को सराहा है। संजीव अरोड़ा, स्वयं एक सफल उद्योगपति और शिक्षित नेता हैं। उनकी छवि एक ईमानदार, दूरदर्शी और जमीनी नेता की बनी है, जिससे कारोबारी वर्ग और मध्यमवर्गी जनता में भरोसा बना है।
कैबिनेट में शामिल होने की घोषणा ने बदला समीकरण
केजरीवाल और मान दोनों ने ऐलान किया है कि संजीव अरोड़ा की जीत के बाद उन्हें पंजाब मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। इससे मतदाताओं में एक भाव पैदा हुआ कि उनका चुना हुआ नेता मंत्री बनेगा, जिससे इलाके को सीधे फायदा मिलेगा। यह मुद्दा खासकर उन क्षेत्रों में असरदार रहा जहाँ लंबे समय से इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रशासनिक उपेक्षा का आरोप रहा है।
विपक्ष की बिखरी स्थिति
कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही इस सीट पर एकजुट नहीं दिखे। कांग्रेस में स्थानीय नेताओं में आपसी मतभेद और गुटबाज़ी की स्थिति बनी रही। बीजेपी ने विकास से ज़्यादा विवाद और आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे जनता का विश्वास कमजोर हुआ।
शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने नाममात्र की मौजूदगी दिखाकर मुकाबले से स्वयं को लगभग अलग कर लिया।
AAP ने इस उपचुनाव को अभी तक एक मिनी जनमत संग्रह की तरह लिया है। दिल्ली और पंजाब की सरकारों के काम, लोकल स्तर पर पारदर्शिता, ईमानदार उम्मीदवार और मंत्री बनने की संभावना जैसे मुद्दों ने इस चुनाव को पूरी तरह से AAP के पक्ष में मोड़ दिया है। अगर सब कुछ रणनीति के अनुसार रहा, तो 19 जून को EVM में जो वोट दर्ज होंगे, वे 23 जून को AAP के लिए एक बड़ी जीत की घोषणा कर सकते हैं।।।