चंडीगढ़, 25 मार्च:
पंजाब विधानसभा में आज “राज्य में गिरते जल स्तर को रोकने और पर्यावरण संरक्षण” संबंधी प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया।
पंजाब के जल संसाधन मंत्री श्री बरिंदर कुमार गोयल ने नाभा विधानसभा क्षेत्र के विधायक स. गुरदेव सिंह देव मान द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव जिसमें “राज्य में दिन-प्रतिदिन गिरते जल स्तर को रोकने और पर्यावरण संरक्षण के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की गई थी”, पर बोलते हुए मुख्यमंत्री स भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा भूजल बचाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी। साथ ही, उन्होंने केंद्र सरकार की पक्षपातपूर्ण नीति पर भी निराशा व्यक्त की।
विधानसभा में बोलते हुए श्री बरिंदर सिंह गोयल ने बताया कि पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल (2019-2022) में जहां नहरी ढांचे पर 2046 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, वहीं हमारी सरकार ने 2022 से 2025 तक नहरों और खालों के पुनरुद्धार एवं अन्य बुनियादी ढांचे के कार्यों पर 2.25 गुना अधिक यानी 4557 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स भगवंत सिंह मान ने सरकार बनते ही यह निर्णय लिया था कि पानी को टेलों तक पहुंचाना है और हमने इस कार्य को पूरा करते हुए टेलों तक पानी पहुंचाया।
उन्होंने बताया कि जहां पहले डैमों का केवल 68% पानी उपयोग होता था, वहीं हमारी सरकार के प्रयासों से यह बढ़कर 84% हो गया है।
उन्होंने बताया कि सरकार ने 6300 किलोमीटर लंबाई वाले 17072 खालों, जो पिछले 30-40 वर्षों से जर्जर हालत में थे, को पुनःबहाल किया है। इसके अलावा, 545 किलोमीटर लंबी 79 नहरों को पुनःचालू किया गया, जिससे 41135 एकड़ क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो रहा है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान सीमा से सटे फाजिल्का जिले में पिछले 15 वर्षों से बंद पड़ी लूथर कैनाल प्रणाली के तहत 213 किलोमीटर लंबी 12 नहरों को पुनःचालू किया गया है।
जल संसाधन मंत्री ने बताया कि इसी तरह मालेरकोटला, पठानकोट, मालवा, अमृतसर और अन्य क्षेत्रों में 9 नई नहरों का निर्माण किया जा रहा है। तरन तारन ज़िले में 30-40 वर्षों बाद 23 जर्जर नहरों को पुनर्जीवित किया गया है।
उन्होंने बताया कि मालेरकोटला ज़िले में नए क्षेत्रों को पानी उपलब्ध कराने के लिए रोहीड़ां, कंगनवाल, डेहलो नहरों और अन्य मौजूदा नहरों के विस्तार का कार्य पूरा किया गया है। इसके अलावा, मालेरकोटला, पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर, फाजिल्का, श्री मुक्तसर साहिब ज़िलों में नई नहरों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू की गई है।
उन्होंने बताया कि आज़ादी के बाद पहली बार सरहिंद नहर और पटियाला फीडर जैसी मुख्य नहरों की क्षमता बढ़ाई गई है। डिज़ाइन संबंधी मुद्दों, किसानों की मांगों को हल करने और भारत सरकार को विश्वास में लेने के बाद, सरहिंद फीडर नहर की रिलाइनिंग का वर्षों से लंबित प्रोजेक्ट पूरा किया गया है। 129 नहरी जल पुनर्भरण स्थलों का काम पूरा हो चुका है और 60 पुनर्भरण योजनाएं बनाई जा रही हैं। 127 नए तालाब खोदे जा रहे हैं और उन्हें नहरों से जोड़ा जा रहा है। ज़मीनी पानी को रिचार्ज करने के लिए 66 मौजूदा तालाब नहरों से जोड़ा जा रहे हैं ।
कैबिनेट मंत्री ने बताया कि सरकार पिछले 5 वर्षों की तुलना में खरीफ सीज़न में 12% अधिक पानी के उपयोग में सक्षम हो गई है। उन्होंने बताया कि रोपड़ और होशियारपुर ज़िलों में पंजाब के अनदेखे कंडी क्षेत्र को पानी उपलब्ध कराने के लिए 28 नई लिफ्ट योजनाओं की पहचान की गई है, जिनमें से 15 पहले ही शुरू हो चुकी हैं।
केंद्र सरकार की पंजाब के प्रति पक्षपातपूर्ण नीति की कड़ी आलोचना करते हुए श्री बरिंदर कुमार गोयल ने कहा कि केंद्र सरकार समय-समय पर राज्य में गिरते जल स्तर को लेकर रिपोर्टें तो जारी करती है, लेकिन पंजाब के जल संरक्षण के लिए अपना कर्तव्य कभी नहीं निभाया। उन्होंने कहा कि राज्य को खालों के कार्यों के लिए 17 हज़ार करोड़ रुपये की आवश्यकता है। यदि पंजाब में सभी खालें बना दी जाएं और भूमिगत पाइपलाइनें बिछा दी जाएं तो राज्य में 20% पानी की बचत हो सकती है।
उन्होंने कहा कि हालांकि राज्य सरकार ने कई नहरों का पुनरुद्धार किया है, लेकिन ये नहरें अभी भी पूर्ण जल प्रवाह के लिए सक्षम नहीं हैं। इनके बुनियादी ढांचे और पुनर्भरण प्रणाली के लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जिस पंजाब ने अपने पानी का त्याग पूरे देश के लिए किया, आज उसी राज्य की जल समस्या के समाधान के लिए केंद्र सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को पंजाब का सहयोग करना चाहिए ताकि हम अपनी जल संपदा का उचित प्रबंधन कर सकें और इसे भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रख सकें। उन्होंने विधायकों को संबोधित करते हुए कहा कि जल संरक्षण की पहल हमें सबसे पहले खुद से शुरू करनी चाहिए।
इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर कैबिनेट मंत्री श्री अमन अरोड़ा, श्री लाल चंद कटारूचक, स लालजीत सिंह भुल्लर, विधायक इंदरबीर सिंह निज्जर, नरिंदर कौर भराज, दिनेश चड्ढा, मनप्रीत सिंह इयाली, मनविंदर सिंह ग्यासपुरा, कुलवंत सिंह पंडोरी, राणा इंदर प्रताप सिंह, प्रिंसिपल बुद्ध राम, कुलजीत सिंह रंधावा, लाभ सिंह उगोके, इंदरजीत कौर मान, जमील-उर-रहमान, गुरलाल सिंह घनौर, प्रो. जसवंत सिंह गज्जनमाजरा, हरदेव सिंह लाडी, फौजा सिंह सरारी, राणा गुरजीत सिंह, संदीप जाखड़, अवतार हेनरी और बरिंदरमीत सिंह पाहड़ा ने भी अपने विचार रखे।