Thursday, August 21, 2025
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सीज़फायर के नाम पर सेना के हाथ बांधे गए, देश को जवाब चाहिए: मोदी सरकार के फैसले पर उठे सीधे सवाल”- मनीष सिसोदिया

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1. आतंकी देश से अचानक सीज़फायर क्यों?

2. पाकिस्तान ने हाथ जोड़े, मोदी जी क्यों मान गए?

3. ⁠पाकिस्तान पीछे हटने की हालत में था, फिर लिखित समझौता क्यों नहीं? इंदिरा गांधी ने 1971 में किया था”

4. ⁠पहलगाम और पुंछ के शहीदों को न्याय कैसे मिलेगा?

5. अमेरिका के बयानों पर प्रधानमंत्री मौन क्यों?

सीज़फायर के फैसले से उठे गहरे सवाल- मनीष सिसोदिया

चंडीगढ़, 13 मई

आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और पार्टी के पंजाब प्रभारी मनीष सिसोदिया ने पहलगाम हमले और अचानक सीजफायर को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कई गंभीर सवाल खड़े किए और उनसे सीजफायर से उपजे सवालों और संशयों पर स्पष्टीकरण देने की मांग की।

मंगलवार को पार्टी कार्यालय चंडीगढ़ में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद पूरे देश के लोगों में भयंकर गुस्सा था। उसके बाद भारत की सेना ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर को सफलतापूर्वक चलाकर पाकिस्तान में आतंकवादियों के अड्डे तबाह किए। फिर देश के लोगों के मन में न्याय की एक उम्मीद जगी और थोड़ा सुकून महसूस हुआ।

उन्होंने कहा कि भारतीय सेना लगातार पाकिस्तान पर कारवाई कर रही थी और लड़ाई में पाकिस्तान के मुकाबले काफी मजबूत स्थिति में थी, लेकिन सरकार की तरफ से अचानक सीजफायर की घोषणा कर दी गई। इस घोषणा से पूरे देश को हैरानी हुई और उनके मन में कई सवाल और संशय पैदा हुए, जिसका जवाब न तो सरकार ने न ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल के अपने भाषण में दिया। जबकि कल लोगों को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री सीजफायर को लेकर उपजे सभी सवालों का जवाब देंगे और संशय स्पष्ट करेंगे लेकिन उन्होंने सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें की।

अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत की आक्रामक कार्रवाई के बाद पाकिस्तान बचने के रास्ते खोजने लगा और भारतीय सेना से तनाव खत्म करने की गुहार लगाने लगा। 10 मई की दोपहर को बुरी तरह पीटने के बाद पाकिस्तानी सेना ने हमारे डीजीएमओ से संपर्क किया और कहा कि पाकिस्तान अब आगे से कोई आतंकी गतिविधि और सैन्य कार्रवाई नहीं करेगा। फिर हमने अपनी जवाबी कार्रवाई स्थगित कर दी।”

लेकिन यहां महत्वपूर्ण सवाल उठता है कि जब पूरा देश और विपक्ष सरकार के साथ खड़ी थी, भारतीय सेना मजबूत स्थिति में थी और आप खुद मान रहे हैं कि पाकिस्तान एक आतंकवादी देश है, तो आपने अचानक सीजफायर क्यों कर दिया?

दूसरा सवाल, पाकिस्तान हमारे हवाई हमले को रोक नहीं पा रहा था और तनाव खत्म करने के लिए गिड़गिड़ा रहा था तो आपने पहलगाम हमले के आतंकवादियों को भारत को सौंपने के लिए क्यों नहीं कहा?

सिसोदिया ने कहा कि बहुत आश्चर्य की बात है कि पाकिस्तान ने हाथ जोड़े और मोदी जी मान गए। मैं पूछना चाहता हूं कि जब पाकिस्तान के भेजे हुए आतंकवादी पहलगाम में लोगों को जब चुन-चुन कर मार रहे थे, उस वक्त हमारी बहनें उसके सामने हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ा रही थी कि मेरे पति को छोड़ दो, मेरा सिंदूर मत उजाड़ो, लेकिन पाकिस्तानी आतंकियों ने उनकी एक नहीं सुनी और बर्बरतापूर्वक उनके पतियों की हत्या कर की। जब आतंकियों ने हमारी बहनों की गिरगिराहट नहीं सुनी तो आप एक बार हाथ जोड़ने पर कैसे मान गए। जब पहलगाम हमले के आतंकियों को आपने पकड़ा ही नहीं तो उन पीड़ित महिलाओं को न्याय कब और कैसे मिलेगा?

तीसरा सवाल – अगर प्रधानमंत्री सीजफायर के लिए मान भी गए तो उन्होंने 1972 समझौते की तरह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को बुलाकर लिखित समझौता क्यों नहीं किया?

चौथा सवाल – जिस समय भारत के अधिकारियों ने सीजफायर की घोषणा की उससे आधा घंटा पहले अमेरिका के राष्ट्रपति ने सीजफायर का ऐलान कैसे कर दिया? अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया है कि उन्होंने दोनों देशों को व्यापार रोकने की धमकी देकर सीजफायर करवाया। फिर प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में ट्रम्प के बयान पर खंडन क्यों नहीं किया?  आपने ट्रंप को क्यों नहीं कहा कि भारत को अमेरिका की मध्यस्थता की कोई ज़रूरत नहीं है। हम अपना विवाद सुलझाने में खुद सक्षम हैं।

सिसोदिया ने कहा, “पिछले 78 सालों में भारत कभी अमेरिका के सामने नहीं झुका। हमेशा अपने फैसले खुद लिए। मोदी जी की ऐसी क्या मजबूरी है कि देश के स्वाभिमान को दांव पर लगा दिया? उन्होंने कहा कि एक भारतीय के रूप में मुझे शर्म आती है कि जब अमेरिका व्यापार का लालच देकर हमारी सेनाओं को रोकने के किए भारत सरकार को विवश कर देता है। मुझे शर्म आती है आज फिर से अमेरिका भारत को पाकिस्तान के बराबर देखता है, जबकि हम पाकिस्तान से हर मामले में काफी आगे हैं।

सिसोदिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इन सवालों का जवाब देश की जनता को देना चाहिए। जनता को सच जानने का हक है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का मौन इशारा करता है कि कहीं कुछ गड़बड़ है। इसलिए इस मामले में चुप्पी बर्दाश्त नहीं की जा सकती।

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