चंडीगढ़, 14 दिसंबर:पंजाब राज्य महिला आयोग ने पंजाब राज्य महिला आयोग अधिनियम, 2001 की धारा 12 के तहत महिलाओं के अधिकारों, सम्मान और सुरक्षा के उल्लंघन के मामलों को संज्ञान में लेते हुए कार्रवाई की है। पंजाब राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रज लाली गिल ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष श्री हरजिंदर सिंह धामी को एक सुओ-मोटो नोटिस जारी किया है। यह नोटिस एसजीपीसी की पूर्व अध्यक्ष और एक राजनीतिक दल की नेता बीबी जगीर कौर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी और भाषा के प्रयोग के मामले में जारी किया गया है। आयोग ने महिलाओं के खिलाफ की गई इस अपमानजनक टिप्पणी को बेहद गंभीरता से लिया है और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि पंजाब में महिलाओं के अधिकार, सम्मान और प्रतिष्ठा की रक्षा की जाए।
आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से यह मामला आयोग के ध्यान में आया कि एक पत्रकार के साथ टेलीफोन पर बातचीत के दौरान हरजिंदर सिंह धामी ने बीबी जगीर कौर को संबोधित करते हुए बेहद अपमानजनक और अमानवीय शब्दों का इस्तेमाल किया। ऐसी भाषा और टिप्पणी न केवल एक महिला को बदनाम करती है, बल्कि समस्त महिला समाज का भी अपमान करती है।
महिला आयोग की अध्यक्ष ने आगे कहा कि श्री धामी एसजीपीसी के अध्यक्ष के रूप में एक महत्वपूर्ण और अत्यधिक सम्मानित पद पर होने के नाते, उनसे यह अपेक्षा नहीं की जाती है कि उनका आचरण समस्त मानव जाति के सम्मान और गरिमा के उच्चतम मानकों को दर्शाए। इस प्रकार की अपमानजनक भाषा का प्रयोग न केवल उनके पद के लिए अनुचित है, बल्कि समाज को एक गलत संदेश भी देता है।
आयोग की अध्यक्ष राज लाली गिल ने गुरु नानक देव जी की उक्ति “सो क्यों मंदा आखिए जितु जमेह राजान” का हवाला देते हुए एसजीपीसी से अपील की है कि महिलाओं के प्रति की गई भद्दी शब्दावली के लिए श्री धामी को तुरंत बर्खास्त किया जाए। आयोग ने धामी को निर्देश दिया है कि वे कथित टिप्पणियों से संबंधित ऑडियो रिकॉर्डिंग के साथ अपना लिखित स्पष्टीकरण और बयान 17 दिसंबर 2024 तक पंजाब राज्य महिला आयोग के कार्यालय (एससीओ नंबर 5, सेक्टर-55, फेज-1, एसएएस नगर, मोहाली) में व्यक्तिगत रूप से पेश होकर प्रस्तुत करें।
महिला आयोग ने यह भी कहा कि यदि श्री धामी तय समय सीमा के भीतर व्यक्तिगत रूप से पेश होकर नोटिस का जवाब नहीं देते हैं, तो आयोग पंजाब राज्य महिला आयोग अधिनियम, 2001 के तहत प्राप्त अधिकारों का उपयोग करते हुए संबंधित प्राधिकरणों को उचित कार्रवाई की सिफारिश करेगा