भारती किसान यूनियन (रजि.) कादियां के प्रदेश अध्यक्ष हरमीत सिंह कादियां ने प्रेस के साथ बैठक की और निम्नलिखित मुद्दों पर चर्चा की। इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष हरमीत सिंह कादियां ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने गेहूं की एम.एस.पी. में 150 रुपये की बढ़ोतरी की है, जिससे अब गेहूं की कीमत 2425 रुपये प्रति क्विंटल है, जो किसानों के लिए अपर्याप्त और कम है क्योंकि आज बाजार में गेहूं की कीमत लगभग 3100 रुपये प्रति क्विंटल है।
उन्होंने आगे कहा कि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा गेहूं की जो किस्में विकसित की गई हैं, उनकी बुआई का उपयुक्त समय कृषि विश्वविद्यालय 20 अक्टूबर से 10 नवंबर तक निर्धारित करता है। लेकिन अभी तक पंजाब सरकार मंडियों में धान की खरीद/उठान करने में विफल रही है। जिसके चलते मंडियों में धान की फसल के ढेर लग गए हैं। परिणामस्वरूप धान की कटाई में देरी हो रही है, परिणामस्वरूप गेहूं की बुआई में भी देरी हो रही है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की सिफारिशों के अनुसार 10 नवंबर के बाद बोई गई गेहूं की फसल की पैदावार एक सप्ताह में करीब डेढ़ क्विंटल कम होती है। इससे किसानों की आय को भारी नुकसान होता है।
उन्होंने आगे कहा कि अब पराली के रख-रखाव के कारण पराली को खेत की मिट्टी में दबा कर गेहूं बोने की तकनीक/विधि के लिए भारी मशीनरी और इस भारी मशीनरी को चलाने के लिए बड़े ट्रैक्टरों की आवश्यकता होती है। जिससे गेहूं की लागत काफी बढ़ जाती है, जो कि सरकार को जारी की गई उपरोक्त वृद्धि के लिए बहुत अपर्याप्त है। उन्होंने आगे कहा कि इस बार किसानों को बड़ा झटका तब लगा जब केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए गेहूं के बीज पर सब्सिडी दे दी। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच तालमेल की कमी के कारण केंद्र सरकार ने वह सब्सिडी वापस ले ली है। जिससे किसानों को महंगा गेहूं बीज खरीदना पड़ रहा है। इससे सीधे तौर पर गेहूं का लागत मूल्य भी बढ़ जाता है।