सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उस जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें गर्मियों के दौरान वकीलों को अदालतों में काले कोट और गाउन पहनने से छूट देने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि एक ड्रेस कोड होगा, वे कुर्ता-पायजामा नहीं पहन सकते।
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि आखिरकार, यह शिष्टाचार का मामला है। आपको उपयुक्त कपड़े पहनने चाहिए। आपको कुछ तो पहनना ही पड़ेगा। आप कुर्ता-पायजामा या शॉर्ट्स और टी-शर्ट में बहस भी नहीं कर सकते।
पीठ ने व्यक्तिगत रूप से जनहित याचिका दायर करने वाले वकील शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी को इस मुद्दे पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया, स्टेट बार काउंसिल और केंद्र को एक प्रतिनिधित्व प्रस्तुत करने की अनुमति दी और कहा कि वह इस संबंध में निर्णय ले सकते हैं। जब त्रिपाठी ने कहा कि गर्मी के मौसम में अधिक वकीलों को कोट और गाउन पहनने से छूट दी जा सकती है, तो मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि राजस्थान और बेंगलुरु की जलवायु समान नहीं है और इसलिए यह संबंधित बार काउंसिल पर निर्भर है कि वे क्या निर्णय लेते हैं।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता बार काउंसिल और सरकार से ड्रेस कोड में उचित संशोधन करने का भी अनुरोध कर सकते हैं। चूंकि पीठ जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार नहीं थी, इसलिए त्रिपाठी ने इसे वापस लेने की अनुमति मांगी। कोर्ट ने याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी।