अमृतसर–पंजाब सरकार का शिक्षा विभाग राज्य के सरकारी स्कूलों में तेलुगु भाषा पढ़ाने की तैयारी कर रहा है। लेकिन इस आदेश के आते ही इस पर गहरी बहस शुरू हो गई है। आदेश के तहत 26 मई से 5 जून 2025 तक छठी से 10वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए ‘भारतीय भाषा समर कैंप’ आयोजित किए जाएंगे, जिसमें उन्हें तेलुगु भाषा की बुनियादी जानकारी दी जाएगी।
सरकारी आदेश के पीछे ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ मिशन को आधार बनाया गया है, लेकिन राज्य में शिक्षा की मौजूदा स्थिति को देखते हुए शिक्षक संगठन और विशेषज्ञ इस प्रयोग पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं।
शिक्षक संगठन का कहना है कि पंजाब में 12वीं कक्षा के 3800 से अधिक और 10वीं कक्षा के 1571 विद्यार्थी पंजाबी भाषा में फेल हो गए हैं, जबकि शिक्षा विभाग अब उन्हीं विद्यार्थियों को तेलुगु भाषा पढ़ाने के लिए शिक्षकों को आदेश दे रहा है
डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (DTF) ने इसका कड़ा विरोध किया है। संगठन का कहना है कि जब विद्यार्थी अपनी मातृभाषा पंजाबी में पिछड़ रहे हैं, तो चौथी भाषा का बोझ डालना पूरी तरह से गैर-वैज्ञानिक और तर्कहीन है।
विभाग ने छठी से दसवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को तीन समूहों में बांटकर समर कैंप के जरिए तेलुगु पढ़ाने की योजना बनाई है। डीटीएफ नेताओं ने कहा कि स्कूलों में पहले से ही शिक्षकों की भारी कमी है और अब उन्हें गैर-शैक्षणिक कार्यों में लगाकर मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है।