फर्जी जज बनकर 2700 आरोपियों को 40 दिन की जमानत देने वाले हरियाणा के भिवानी जिले के धनीराम मित्तल के खिलाफ 20 साल पहले चंडीगढ़ में दर्ज चोरी का मामला जिला अदालत ने बंद कर दिया है। क्योंकि करीब पांच महीने पहले 18 अप्रैल 2024 को धनीराम की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी। मृत्यु के समय वह 86 वर्ष के थे। वह देशभर में ‘सुपर नटवरलाल’ और चोरों के सरदार के नाम से मशहूर था। धनीराम को ‘इंडियन चार्ल्स शोभाराज’ के नाम से भी जाना जाता था। धनीराम एक आदतन चोर था, जिसने जीवन के आखिरी पड़ाव पर भी अपराध करना बंद नहीं किया।
आपको बता दें कि धनी राम के खिलाफ 2004 में चंडीगढ़ के सेक्टर-3 थाने में मामला दर्ज किया गया था। उस पर आरोप था कि उसने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की पार्किंग से अशोक कुमार नाम के शख्स की कार चुराई थी। पुलिस ने तीन साल बाद कार बरामद की, और तब फिर धनीराम का नाम आया। इसके बाद उस पर चोरी और धोखाधड़ी का मामला चल रहा था। हालांकि बाद में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। लेकिन वह बीमार ही रहे। इसके सिवा, वह बूढ़ा हो रहा था। ऐसे में उन्हें जमानत मिल गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1970 और 1975 के बीच किसी समय धनीराम ने एक अखबार में हरियाणा के झज्जर में अतिरिक्त न्यायाधीश के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश के बारे में खबर पढ़ी। इसके बाद उन्होंने कोर्ट परिसर में जाकर जानकारी जुटाई और एक पत्र टाइप कर उसे एक सीलबंद लिफाफे में रख दिया। उसने पत्र पर हाईकोर्ट रजिस्ट्रार की जाली मुहर लगाई, उस पर विधिवत हस्ताक्षर किए और उसे विभागीय जांच न्यायाधीश के नाम पर पोस्ट कर दिया।
इस पत्र में उस जज को 2 महीने की छुट्टी पर भेजने का आदेश था। जज को यह फर्जी पत्र समझ आ गया और वह छुट्टी पर चले गये। अगले दिन, झज्जर की उसी अदालत में हरियाणा उच्च न्यायालय के नाम से एक और सीलबंद लिफाफा आया, जिसमें न्यायाधीश के दो महीने की छुट्टी पर होने के दौरान उनके काम की देखरेख के लिए एक नए न्यायाधीश की नियुक्ति का आदेश दिया गया था। इसके बाद धनीराम खुद जज बनकर कोर्ट पहुंचे।
अदालत के सभी कर्मचारियों ने वास्तव में उन्हें न्यायाधीश के रूप में स्वीकार कर लिया। उन्होंने 40 दिनों तक मुकदमों की सुनवाई की और हजारों मुकदमों का निपटारा किया। इस बीच धनीराम ने 2700 से ज्यादा आरोपियों को जमानत भी दे दी। ऐसा भी कहा जाता है कि धनीराम मित्तल ने खुद फर्जी जज बनकर अपने खिलाफ केस चलाया और खुद को बरी कर लिया। इससे पहले कि अधिकारियों को पता चले कि क्या हो रहा है, मित्तल पहले ही भाग चुके थे। इसके बाद जिन अपराधियों को उन्होंने रिहा कर दिया था या जमानत दे दी थी, उन्हें दोबारा पकड़कर जेल में डाल दिया गया।