Thursday, August 21, 2025
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लुधियाना पश्चिम सीट से कमजोर प्रत्याशी उतरने की तैयारी में बीजेपी

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आशु को जिताने के लिए बीजेपी का गेम प्लान

‘आप’ का होगा खेल ख़राब..!

बीजेपी एक तीर से दो निशाने लगाने की फिराक में

लुधियाना, 29 अप्रैल
लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस सीट से जानबूझकर कमजोर प्रत्याशी उतारकर कांग्रेस के पूर्व विधायक भारत भूषण आशू को जिताने की रणनीति बना रही है। जानकार सूत्रों के मुताबिक, भाजपा आशू के चुनाव जीतने के बाद उन्हें अपने दल में शामिल करने की योजना पर काम कर रही है।

भाजपा की बड़ी सियासी चाल

लुधियाना पश्चिम सीट पर आम आदमी पार्टी (आप) को हराने के लिए भाजपा एक साथ कई राजनीतिक समीकरणों पर काम कर रही है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं और भारत भूषण आशू के बीच हाल ही में हुई गुप्त बैठकों में इस रणनीति पर मंथन हुआ है। भाजपा का मानना है कि अगर वह अपना कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं उतारेगी, तो आशू को जीतने में आसानी होगी।

सूत्रों के अनुसार, भाजपा इस तरह से एक तीर से दो निशाने लगाना चाहती है – पहला, आप को हराना और दूसरा, आशू को जिताकर उन्हें अपने दल में शामिल करना।

कांग्रेस में आशू और राजा वडिंग के बीच मनमुटाव

भारत भूषण आशू और पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष राजा वडिंग के बीच लंबे समय से मतभेद चल रहे हैं। पार्टी के भीतर आशू को वडिंग के नेतृत्व से सहमति नहीं है, जिसका भाजपा फायदा उठाना चाहती है। अगर आशू चुनाव जीत जाते हैं, तो वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं, जिससे कांग्रेस को बड़ा झटका लगेगा।

भाजपा के लिए क्यों अहम है लुधियाना पश्चिम सीट?

पंजाब में भाजपा की मौजूदगी को मजबूत करने के लिए लुधियाना पश्चिम सीट काफी अहम है। अगर आशू भाजपा में शामिल होते हैं, तो पार्टी को पंजाब में एक बड़ा नेता मिल जाएगा, जिससे 2027 के विधानसभा चुनावों में उसे फायदा हो सकता है।

भाजपा ने अभी तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है, लेकिन पार्टी के भीतरी सूत्र बताते हैं कि वह जानबूझकर कमजोर उम्मीदवार उतार सकती है, ताकि आशू को फायदा मिले। इसके अलावा, भाजपा आशू को समर्थन देने के लिए अपने सहयोगी दलों से भी बातचीत कर रही है।

लुधियाना पश्चिम सीट पर उपचुनाव अब सिर्फ एक चुनाव नहीं, बल्कि पंजाब की राजनीति में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। भाजपा की रणनीति अगर कामयाब होती है, तो पंजाब की सियासी तस्वीर बदल सकती है। वहीं, कांग्रेस और आप के लिए यह चुनाव अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।

आने वाले दिनों में इस मामले में और भी नए मोड़ देखने को मिल सकते हैं।

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