Friday, August 22, 2025
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भाजपा-अकाली और कांग्रेस सरकारों ने अपने फायदे के लिए पंजाब के युवाओं को नशे में धकेला: हरपाल चीमा

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चंडीगढ़, 28 फरवरी

पंजाब के वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने पंजाब के नशा तस्करों को सख्त और अंतिम चेतावनी दी है कि वे या तो नशा तस्करी छोड़ दें या पंजाब छोड़ दें। उन्होंने यह चेतावनी कैबिनेट सब-कमेटी के अपने सह-सदस्य अमन अरोड़ा, डॉ. बलबीर सिंह, तरुनप्रीत सिंह सोंद और लालजीत सिंह भुल्लर, मुख्य सचिव के.ए.पी. सिन्हा और डीजीपी गौरव यादव की उपस्थिति में आज पंजाब भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दी।

वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने जोर देकर कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने प्रदेश से नशे के खात्मे के लिए पिछले तीन वर्षों में एक बड़ा अभियान चलाया है। नवगठित कैबिनेट सब-कमेटी का उद्देश्य पंजाब भर में नशा तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए सिविल और पुलिस प्रशासन के साथ मिलकर 24 घंटे काम करते हुए प्रयासों को तेज करना है। उन्होंने कहा कि ‘आप’ सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की सोच के अनुरूप नशे के खिलाफ यह जंग अंतिम चरण में है, जिसमें नशा तस्करों के घरों पर बुलडोजर चलाने के साथ-साथ यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि नशे के कारोबार में शामिल कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी पद या प्रभाव का हो, बख्शा न जाए।

अकाली-भाजपा गठबंधन और कांग्रेस पार्टी पर 2002 से 2022 तक अपने कार्यकाल के दौरान पंजाब की युवा पीढ़ी को नशे की ओर धकेलने का आरोप लगाते हुए वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने राज्य में नशा तस्करी को संरक्षण देने वाले राजनीतिक नेताओं, नशा तस्करों और पुलिस अधिकारियों के बीच अनैतिक गठजोड़ का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तलवंडी साबो में गुटका साहिब हाथ में लेकर शपथ ली थी कि यदि उनकी सरकार बनी तो प्रदेश से नशे का पूरी तरह से खात्मा कर दिया जाएगा, लेकिन सत्ता में आने के बाद ऐसा कुछ नहीं किया गया।

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार की उपलब्धियों के बारे में जानकारी साझा करते हुए वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि हाल ही में एनडीपीएस एक्ट के तहत लगभग 12,000 एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिनमें से केवल 24 व्यक्तियों को ही डिफॉल्टर जमानत मिली है, जबकि पिछली सरकारों के दौरान राजनीतिक प्रभाव के कारण नशा तस्कर अक्सर ही जमानत ले लेते थे।
इस दौरान कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने कहा कि ‘आप’ सरकार ने 3 वर्षों में नशा तस्करों की 612 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है, जबकि कांग्रेस के 5 साल के कार्यकाल में केवल 142 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन के दौरान 197 किलोग्राम के मुकाबले मौजूदा सरकार द्वारा 1128 किलो हेरोइन बरामद की गई है, जिससे 600% की वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने आगे कहा कि एनडीपीएस मामलों में दोष सिद्ध होने की दर 85% हो गई है, जो देश में सबसे अधिक है, जबकि 2022 से पहले यह केवल 58% थी।

कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने कहा कि 2007 में अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार से पहले पंजाब में सिंथेटिक ड्रग्स का नाम तक नहीं सुना गया था। उन्होंने कहा कि इस मामले में जगदीश भोला और जिस व्यक्ति का उसने नाम लिया था, उसे कौन नहीं जानता। तरनतारन में हुई जहरीली शराब त्रासदी के कारण 130 मौतों के मामले में एक मंत्री और 10 विधायकों समेत मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबियों के नामों का उल्लेख करने वाली मीडिया रिपोर्टों और पूर्व प्रवर्तन निदेशालय अधिकारी के बयान का जिक्र करते हुए कैबिनेट मंत्री अरोड़ा ने कहा कि इन राजनीतिक पार्टियों ने पंजाब में नशे की समस्या को जन्म दिया।

नशा तस्करों के खिलाफ कार्रवाई के बारे में कैबिनेट मंत्री अरोड़ा ने कहा कि राज्य सरकार ने एंटी नारकोटिक्स फोर्स बनाई है और पिछले तीन वर्षों में एनडीपीएस एक्ट के तहत 30,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। उन्होंने 6,500 से अधिक बड़े और 4,500 छोटे नशा तस्करों की गिरफ्तारी, नशा तस्करी में शामिल 100 से अधिक पुलिस कर्मचारियों को हिरासत में लेने और 10,000 से अधिक पुलिसकर्मियों के तबादले का उल्लेख किया। उन्होंने यह भी बताया कि सीमा पार से नशा लाने वाले 294 ड्रोन पकड़े गए हैं और नशा तस्करी से निपटने के लिए लगभग 12,500 गांवों में समितियां बनाई गई हैं, तथा ओपीडी केंद्रों में तीन लाख से अधिक नशा पीड़ितों का इलाज चल रहा है।

केमिस्टों द्वारा ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दवाओं की अनधिकृत बिक्री के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही केंद्र सरकार को कुछ ओटीसी दवाओं को सूचीबद्ध करने के लिए लिखा है, जो कि कानूनी हैं लेकिन वर्तमान में शेड्यूल एच-1 दवाओं की सूची में शामिल नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इस दौरान राज्य में ऐसी दवाओं की मात्रा पर भी प्रतिबंध लगाया गया है, जिन्हें खुदरा और थोक विक्रेता स्टॉक कर सकते हैं। खुदरा विक्रेताओं को 20-30 से अधिक कैप्सूल रखने की अनुमति नहीं है, जबकि थोक विक्रेता 500 से अधिक कैप्सूल नहीं रख सकते। इसी तरह के प्रतिबंध राज्यभर के आपूर्तिकर्ताओं और निर्माताओं पर भी लागू किए गए हैं।

नशा छुड़ाने वाले केंद्र चलाने में कुछ व्यक्तियों के एकाधिकार के बारे में पूछे गए एक अन्य सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ने खुलासा किया कि पंजाब सरकार एक नई मानसिक स्वास्थ्य नीति ला रही है। इस नीति के तहत व्यक्ति केवल सीमित संख्या में नशा छुड़ाने वाले केंद्र खोल सकेंगे। इसके अलावा, नीति यह सुनिश्चित करेगी कि प्रत्येक केंद्र में आवश्यक संख्या में मनोवैज्ञानिक और स्टाफ सदस्य हों। डॉ. बलबीर सिंह ने चेतावनी दी कि यदि कोई भी व्यक्ति निर्धारित सीमा से अधिक नशा छुड़ाने वाला केंद्र चलाते हुए पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सीमा पार से हो रही नशा तस्करी पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार से संपर्क करने की मांग पर बात करते हुए कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने कहा कि सीमा से लगे 50 किलोमीटर तक का क्षेत्र बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में होने के बावजूद सीमा पार से नशे की तस्करी को अभी तक नहीं रोका गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को राज्य को दोष देने के बजाय सीमा पार से होने वाली नशा तस्करी की स्वयं जिम्मेदारी लेनी चाहिए।कैबिनेट सब कमेटी ने पुनः दोहराया कि राज्य को फिर से रंगला पंजाब बनाने हेतु नशा तस्करों विरुद्ध कठोर कार्यवाई की जाएगी और नशा पीड़ितों के इलाज के लिए राज्य में ओट केंद्रों को ओर मजबूत किया जाएगा।

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