चंडीगढ़ (नवदीप कुमार)- पंजाब में युवाओं के लिए एक नया दौर शुरू हो चुका है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में चल रही राज्य सरकार ने अपने 36 महीनों के कार्यकाल में पंजाब की तस्वीर ही बदल दी है। ‘मिशन रोज़गार’ के अंतर्गत 55,000 से अधिक नौकरियाँ देकर सरकार ने राज्य को एक नई दिशा दी है। साथ ही, पंजाब को नशे की दलदल से राहत मिली है और पहले उजड़े चेहरों पर अब फिर से रौनक लौट आई है।
जहाँ तक नौकरियों की बात है, इन नियुक्तियों की खास बात यह रही कि यह पूरी तरह पारदर्शी और मेरिट आधारित प्रक्रिया से की गईं, जिससे युवाओं का भरोसा मजबूत हुआ। एक कार्यक्रम के दौरान जहाँ 700 से अधिक नए शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपे गए, मुख्यमंत्री ने उन्हें सिर्फ़ नौकरी नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी दी—कि वे शिक्षा को केवल पेशा नहीं, सेवा समझें। यह नियुक्ति केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि प्रदेश के भविष्य की नींव भी है।
शिक्षा क्षेत्र में हो रहे सुधारों की लंबी श्रृंखला में यह एक अहम कदम है—जहाँ स्कूलों के ढांचे से लेकर शिक्षकों के प्रशिक्षण तक, हर पहलू पर नई राहें खोली जा रही हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने यह भी कहा कि पिछली सरकारों ने युवाओं को नौकरियों से दूर रखकर उन्हें केवल निराशा ही सौंपी थी। लेकिन अब जब युवाओं को अच्छे रोज़गार मिल रहे हैं, तो विदेश जाने की पुरानी प्रवृत्ति में भी बड़ा बदलाव आया है।
पंजाब की यूनिवर्सिटियों और स्कूलों में दाख़िलों की संख्या बढ़ रही है, जो दर्शाता है कि लोग अब अपना भविष्य यहीं सुरक्षित देखने लगे हैं। राज्य सरकार के ढांचे को सरल और जन-केंद्रित बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। माता-पिता और शिक्षकों की बैठकें (पीटीएम) शुरू कर स्कूलों को पारिवारिक सरोकारों से जोड़ा जा रहा है। शिक्षकों को विदेशों में प्रशिक्षण के लिए भेजा जा रहा है ताकि वे नई तकनीकों और विधियों के माध्यम से पंजाबी विद्यार्थियों के लिए एक गुणवत्तापूर्ण शिक्षण वातावरण तैयार कर सकें।
साथ ही, सरकार ने नशे के ख़िलाफ़ एक युद्ध भी शुरू किया है, जिसमें शिक्षकों को अग्रणी भूमिका निभाने के लिए कहा गया है। स्कूलों के माध्यम से विद्यार्थियों को नशे की बुराइयों से बचाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। नशा तस्करों के ख़िलाफ़ लड़ाई अब केवल काग़ज़ी नहीं रही, बल्कि बड़ी गिरफ्तारियाँ और संपत्तियों की ज़ब्ती के ज़रिए इसे हकीकत बनाया गया है।
ये सभी प्रयास किसी व्यक्तिगत या राजनीतिक मकसद तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये पंजाब को एक बेहतर, वैज्ञानिक और नैतिक दिशा पर ले जाने की योजना का हिस्सा हैं। नए युवा अधिकारी और शिक्षक अब केवल सरकारी सेवक नहीं हैं, बल्कि वे राज्य के नए सपनों को साकार करने वाले सिपाही हैं। वे कलम को सिर्फ़ प्रशासन के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव के लिए भी इस्तेमाल करेंगे। यह केवल एक रोज़गार यात्रा नहीं, बल्कि प्रदेश के पुनर्जन्म की शुरुआत है—जहाँ युवा न केवल भविष्य की दिशा तय कर रहे हैं, बल्कि वर्तमान को भी आकार दे रहे हैं।