Thursday, August 21, 2025
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भ्रष्टाचार विरोधी अभियान: नगर निगम कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर भ्रष्टाचार में शामिल होने के आरोप में जालंधर (केंद्रीय) विधायक विजिलेंस ब्यूरो द्वारा गिरफ्तार

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चंडीगढ़, 23 मई, 2025:

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार की सार्वजनिक सेवाओं में भ्रष्टाचार के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस नीति के तहत, पंजाब विजिलेंस ब्यूरो के जालंधर रेंज कार्यालय ने आज जालंधर (केंद्रीय) के मौजूदा विधायक रमन अरोड़ा को जालंधर नगर निगम के कर्मचारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया है।

इस संबंध में जानकारी देते हुए आज यहां विजिलेंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि 14 मई 2025 को इंजीनियर्स एंड बिल्डिंग डिजाइनर एसोसिएशन, जालंधर के तीन पदाधिकारियों द्वारा हस्ताक्षरित एक संयुक्त शिकायत ब्यूरो को प्राप्त हुई, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि सहायक टाउन प्लानर (ए.टी.पी.), नगर निगम, जालंधर सुखदेव वशिष्ठ उनसे अवैध रिश्वत की मांग करता है। शिकायत में आगे कहा गया कि जब भी वह अपने अधिकार क्षेत्र में दौरा करता है, तो वह लोगों को उनकी इमारतों को सील करने और ध्वस्त करने संबंधी धमकी देता है। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि उसके पास बहुत सारी फाइलें लंबित हैं जबकि इन फाइलों को नगर निगम (एम.सी.) के अन्य विंगों द्वारा मंजूरी दे दी गई है।

प्रवक्ता ने आगे बताया कि इस शिकायत की जांच के उपरांत, विजिलेंस ब्यूरो जालंधर रेंज ने इंजीनियर्स एंड बिल्डिंग डिजाइनर एसोसिएशन, जालंधर के अध्यक्ष इंजीनियर सुनील कटियाल की शिकायत पर उक्त सुखदेव वशिष्ठ, ए.टी.पी., एम.सी. जालंधर के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण कानून की धारा 7 के तहत दिनांक 14/05/2025 को मुकदमा नंबर 23 दर्ज किया गया था। विजिलेंस ब्यूरो ने उक्त आरोपी सुखदेव वशिष्ठ को 14/05/2025 को पहले ही गिरफ्तार कर लिया था और जांच आगे चल रही थी जिसके दौरान यह सामने आया कि आरोपी सुखदेव वशिष्ठ पठानकोट में सीनियर ड्राफ्ट्समैन के रैंक पर तैनात था, लेकिन उसके पास ए.टी.पी. जालंधर, एम.सी. का अतिरिक्त चार्ज भी था। आरोपी अप्रैल 2022 से अब तक थोड़े-थोड़े समय के लिए लगातार जालंधर में तैनात रहा।
गिरफ्तार किए गए ए.टी.पी. सुखदेव वशिष्ठ के कार्यालय और आवास की तलाशी के दौरान, अन्य आपराधिक दस्तावेजों और भौतिक सबूतों सहित उसके कब्जे से और कार्यालय के रिकॉर्ड से अनधिकृत निर्माण और संबंधित मामलों के लिए सैकड़ों सरकारी नोटिस बरामद किए गए। इनमें से कुछ नोटिसों को डिस्पैच रजिस्टर में भी दर्ज नहीं किया गया था। इसके अलावा बिना किसी कारण बहुत लंबे समय से बिना कार्रवाई लंबित पड़े अन्य दस्तावेज भी बरामद किए गए।

प्रवक्ता ने आगे बताया कि और जांच से पता चला है कि गिरफ्तार अधिकारी द्वारा एक स्थानीय राजनेता के साथ मिलकर शहर के लोगों से जबरन पैसे वसूलने और भ्रष्टाचार में शामिल होने के लिए एक अनूठा तरीका अपनाया जा रहा था। गिरफ्तार किया गया ए.टी.पी., विधायक रमन अरोड़ा के कहने पर और उसकी सलाह से व्यावसायिक और आवासीय दोनों तरह की इमारतों या निर्माणाधीन इमारतों की पहचान करता था और कथित उल्लंघनों के लिए उन्हें नोटिस भेजता था। जब इमारत के मालिक या उनके प्रतिनिधि संबंधित अधिकारी के पास पहुंचते थे तो वह उन्हें उक्त विधायक के पास भेजता था। उक्त विधायक फिर अवैध रूप से रिश्वत लेकर मामले को सुलझा देता था। उक्त विधायक से हां-पक्षीय संदेश मिलने पर, फाइलें दोषी ए.टी.पी. द्वारा भेज दी जातीं लेकिन कोई कार्रवाई शुरू न होती। उक्त मिलीभगत से संबंधित ऐसे 75-80 के करीब नोटिस बरामद किए गए हैं। अन्य फाइलों के निपटारे के लिए भी यही तरीका अपनाया जाता था।

उन्होंने कहा कि ब्यूरो और स्थानीय निकाय विभाग की तकनीकी टीमों के माध्यम से प्रत्येक नोटिस और दस्तावेजों का व्यापक और दस्तावेजी सत्यापन किया जा रहा है और बहुत सारी कमियां सामने आई हैं।

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