पंजाब सरकार का एक और ऐलान, सुनाम की ऐतिहासिक धरती पर बनेगा अत्याधुनिक स्टेडियम और बस स्टैंड

 

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान आज सुनाम पहुंचे जहां उन्होंने शहीद उधम सिंह के जन्मदिन के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया। यहां संबोधित करते हुए उन्होंने पंजाब के लोगों को शहीद उधम सिंह के इतिहास से अवगत कराया और उन्हें महान शहीदों के नक्शेकदम पर चलने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पंजाब के प्राचीन गौरव को बहाल करने के लिए शहीद उधम सिंह जैसे महान शहीदों के नक्शेकदम पर चल रही है। इसीलिए युवाओं को सक्रिय भागीदार बनाकर देश की सामाजिक-आर्थिक प्रगति हो रही है।

राज्य स्तरीय समारोह के दौरान मुख्यमंत्री ने याद किया कि वह बचपन में शहीद उधम सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल अपने पिता के साथ यहां आते थे। उन्होंने कहा कि शहीद उधम सिंह जैसे महान नायकों के अद्वितीय बलिदान के कारण ही देश के लोग आजादी के इस मीठे फल का आनंद ले रहे हैं। शहीद उधम सिंह एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड के मुख्य अपराधी माइकल ओ डायर को मारकर अपनी वीरता का परिचय दिया था। वे लगातार कैक्सटन हॉल का दौरा करते रहे, जहां शहीद उधम सिंह ने लाखों भारतीयों की ओर से बदला लिया था।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इस महान शहीद के अद्वितीय बलिदान ने देश को ब्रिटिश साम्राज्यवाद के बंधन से छुटकारा दिलाने में मदद की। शहीद उधम सिंह ने जलियांवाला बाग में हुए नरसंहार का बदला लेने के लिए 21 साल तक इंतजार किया और देश की आजादी की नींव रखी।

इसके सिवा मुख्यमंत्री ने राज्य के लिए सरकार द्वारा किये गये कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद पहली बार उनकी सरकार ने प्रदेश में मालवा नहर का निर्माण शुरू कराया है। यह रिकार्ड है कि राज्य की पिछली सरकारों ने पंजाब की इस जरूरत पर ध्यान नहीं दिया। लगभग 150 किलोमीटर लंबी यह नई नहर राज्य में, विशेषकर मालवा क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति और समृद्धि के एक नए युग की शुरुआत करेगी। राज्य सरकार इस प्रतिष्ठित परियोजना पर लगभग 2300 करोड़ रुपये खर्च करेगी, जो राज्य में लगभग दो लाख एकड़ उपजाऊ भूमि की सिंचाई की आवश्यकता को पूरा करेगी।

मुख्यमंत्री मान ने अपने संबोधन के दौरान पिछली सरकारों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि किसानों के नाम पर वोट मांगने वालों ने कभी ऐसा कदम उठाने के बारे में नहीं सोचा था। अकाली नेताओं को ऐसे प्रोजेक्ट चलाने से ज्यादा अपने खेतों में पानी पहुंचाने में दिलचस्पी थी, जिससे आम आदमी की किस्मत बदल जाए। इन नेताओं ने कभी भी पर्यावरण प्रदूषण पर कोई चिंता व्यक्त नहीं की क्योंकि पेड़, नदियाँ और नहरें वोट नहीं देतीं। राज्य सरकार इन संसाधनों के संरक्षण पर विशेष ध्यान दे रही है।

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