नई दिल्ली/चंडीगढ़, 12 दिसंबर–गुरुवार को संसद में आम आदमी पार्टी के सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर ने आपदा प्रबंधन निधि आवंटन और अंतर-राज्य नदी विवादों के कारण पंजाब में किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में गंभीर चिंताएं उठाई। उन्होंने इस मामले में निष्पक्ष और पारदर्शी दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और आपदा प्रबंधन निधि आवंटन में राज्यों के प्रतिनिधित्व की मांग की।
मीत हेयर ने कहा कि आपदा प्रबंधन कोष को राज्यों के पर्याप्त प्रतिनिधित्व के साथ आवंटित किया जाना चाहिए। पिछले उदाहरणों पर ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने कहा कि 2023 में बाढ़ ने पंजाब, हिमाचल प्रदेश और बिहार में व्यापक विनाश किया, फिर भी विशेष राहत पैकेज केवल बिहार के लिए जारी किया गया। यह असमानता दूर करने के लिए फंड आवंटन संबंधी निर्णयों में राज्यों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होना बेहद जरूरी है।
हाल की आपदाओं से निपटने के महत्व पर जोर देते हुए हेयर ने केंद्र सरकार से 2023 की बाढ़ के दौरान पंजाब को हुए नुकसान की भरपाई करने की अपील की और कहा कि बाढ़ के कारण पंजाब को 1,600 करोड़ रुपये की सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान हुआ। बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण और प्रभावित समुदायों की मदद के लिए केन्द्रीय मदद जरुरी है।
सांसद ने बताया कि गांठदार त्वचा रोग जैसे पशुओं की बीमारियां, जिसके परिणामस्वरूप पंजाब में 18,000 से ज्यादा गायों की मौत हो गई, को भी आपदा प्रबंधन प्रावधानों के तहत शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने पशुधन हानि के मुआवजे की दरों में असमानता पर भी प्रकाश डाला और बताया कि पंजाब में एक भैंस का बाजार मूल्य लगभग 1 लाख रुप है, लेकिन आपदा प्रबंधन मानदंडों के तहत मुआवजा मात्र 37,500 रुपए दिया गया। पुराने दर से किसानों को होने वाले वास्तविक आर्थिक नुकसान की भरपाई नहीं होती है, इसलिए केंद्र सरकार को इस दर में संशोधन करना चाहिए और प्रभावित किसानों के लिए मुआवजे की दरों को मौजूदा बाजार मूल्य के अनुसार तय करना चाहिए।
पंजाब की नदियों – रावी, सतलुज, ब्यास और घग्गर – के साथ मजबूत बुनियादी ढांचे की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए, हेयर ने तटबंधों के निर्माण और बाढ़ नियंत्रण तंत्र को मजबूत करने के लिए तत्काल केन्द्रीय समर्थन की अपील की। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार पहले ही केंद्र सरकार को इससे संबंधित फंड को लेकर प्रस्ताव सौंप चुकी है। यह 180 करोड़ रुपये की परियोजना है, जिसमें 40% फंडिंग पंजाब सरकार और 60 प्रतिशत केंद्र द्वारा साझा की जाएगी।
घग्गर नदी के लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे पर चर्चा करते हुए हेयर ने कहा कि पंजाब के किसानों को हर साल बाढ़ के कारण बड़े पैमाने पर नुकसान होता है। उन्होंने इसका कारण घग्गर पर तटबंध (धुस्सी बांध) बनाने के लिए जरूरी एनओसी देने से हरियाणा का इनकार बताया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इस मुद्दे को हल करने के लिए पंजाब और हरियाणा के बीच मध्यस्थता करनी चाहिए और इसका समाधान निकालना चाहिए। ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि खनौरी और संगरूर के आसपास में हजारों किसान प्रकृति की दया पर आश्रित न रह सके।
अपने संबोधन का समापन करते हुए मीत हेयर ने केंद्र सरकार से न्यायसंगत आपदा प्रबंधन नीतियों को प्राथमिकता देने, अंतर-राज्य विवादों को संबोधित करने और कृषि हितों की रक्षा के लिए फंडों का समय पर आवंटन सुनिश्चित करने की अपील की।