चंडीगढ़, 13 दिसंबर-आम आदमी पार्टी (आप) ने भाजपा के राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा द्वारा किसानों और पंजाब के लोगों के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणी की कड़ी निंदा की है। पार्टी ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान 700 लड़कियों के गायब होने और पंजाबियों पर ड्रग्स फैलाने का आरोप लगाने वाले बीजेपी सांसद का बयान पंजाब के प्रति गहरा पूर्वाग्रह और दुर्भावनापूर्ण मानसिकता को दर्शाता है।
आप के वरिष्ठ प्रवक्ता नील गर्ग ने कहा कि इस तरह के घटिया बयान अलग-अलग घटनाएं नहीं हैं, बल्कि भाजपा नेताओं द्वारा पंजाबियों और किसानों की छवि खराब करने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि भले ही बाद में भाजपा इन टिप्पणियों को व्यक्तिगत बताकर खुद को अलग कर ले, लेकिन यह स्पष्ट है कि ये बयान भाजपा के विभाजनकारी एजेंडे और मानसिकता से मेल खाते हैं।
गर्ग ने बताया कि किसानों का आंदोलन एक ऐतिहासिक संघर्ष था जिसने सभी स्तरों पर व्यापक मीडिया कवरेज के साथ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया। अगर ऐसे बेबुनियाद आरोप सच होते तो उसकी रिपोर्ट की गई होती। उन्होंने इस तरह के दावों के पीछे की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये टिप्पणियां किसानों को बदनाम करने की भाजपा की लगातार कोशिशों का हिस्सा है क्योंकि किसानों ने मोदी सरकार को विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने के मजबूर किया था।
गर्ग ने कहा कि किसानों की चिंताओं को दूर करने में अपनी विफलता और विरोध प्रदर्शन के दौरान क्रूर रवैये के लिए माफी मांगने के बजाय भाजपा नेता झूठ और दुष्प्रचार का सहारा ले रहे हैं। ये बयान सिर्फ किसानों का अपमान नहीं है, बल्कि हर उस भारतीय का अपमान है जो विरोध के समय किसानों के साथ खड़ा था।
आप नेता ने इस निंदनीय बयान के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से बिना शर्त माफी की मांग की और कहा कि हम भाजपा से यह सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं कि भविष्य में कोई भी नेता पंजाबियों या किसानों के खिलाफ ऐसी आधारहीन और विभाजनकारी टिप्पणी न करे। उन्होंने कहा कि भाजपा को अपनी विभाजनकारी मानसिकता को स्वीकार करते हुए माफी मांगनी चाहिए। ऐसा व्यवहार देश के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रहा है।
उन्होंने पंजाब और देश के लोगों से पंजाबियों की छवि खराब करने की भाजपा की कोशिशों को खारिज करने और उनका विरोध करने की भी अपील की। गर्ग ने कहा कि भाजपा इस बात को पचा नहीं पाई है कि किसानों का आंदोलन उन्हें कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया। यह हताशा किसानों के खिलाफ उनके निरंतर निराधार आरोपों से स्पष्ट होता है। इसलिए हमें ऐसी विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ एकजुट होना पड़ेगा