चंडीगढ़, 1 सितंबर
पंजाब के वित्त, योजना, आबकारी और कराधान मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने आज यहां कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब, एक ऐसा राज्य जिसने हमेशा देश की चुनौतियों का डटकर सामना किया है, में बाढ़ से हुई तबाही को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर रहे हैं। वित्त मंत्री चीमा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की भी निंदा की कि उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की उस चिट्ठी का जवाब देते हुए, जिसमें बकाया राशि जारी करने की अपील की गई थी, 60,000 करोड़ रुपये की बकाया राशि या राहत पैकेज जारी करने का कोई आश्वासन नहीं दिया।
वित्त मंत्री चीमा ने कहा, “इससे भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि पंजाब भाजपा अपनी केंद्र सरकार पर राज्य को सहायता दिलाने का दबाव बनाने की बजाय राजनीतिक रैलियों में व्यस्त है।”
पंजाब भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष हेतु राज्य के आबकारी और कर विभाग द्वारा जारी किया गया 50 लाख रुपये का चेक दिखाते हुए कहा कि जब पंजाब सरकार, उसके विभाग और राज्य के लोग मिलकर इस प्राकृतिक आपदा से निपट रहे हैं, तब भाजपा-नेतृत्व वाली केंद्र सरकार राज्य को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर रही है। उन्होंने निराशा जताई कि प्रधानमंत्री, जो जन्मदिन की शुभकामनाएं तक ट्वीट करते हैं, उन्होंने पंजाब को प्रभावित करने वाली इस प्राकृतिक आपदा के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा। उन्होंने पंजाब भाजपा नेताओं, राज्य अध्यक्ष सुनील जाखड़, कार्यकारी अध्यक्ष अश्विनी शर्मा और केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू, पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे अपने केंद्रीय नेतृत्व से कार्रवाई की अपील करने की बजाय समराला में राजनीतिक रैलियों में व्यस्त हैं। उन्होंने कहा, “पंजाब भाजपा नेताओं को इस रवैये पर शर्म आनी चाहिए।”
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान द्वारा प्रधानमंत्री को लिखी गई चिट्ठी दिखाते हुए वित्त मंत्री चीमा ने बताया कि उसमें जीएसटी मुआवजे, आरडीएफ और एमडीएफ तथा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत राज्य की 60,000 करोड़ रुपये से अधिक की बकाया राशि का विवरण दिया गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने बाढ़ पीड़ितों को उचित मुआवजा सुनिश्चित करने के लिए राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) के तहत सहायता प्रदान करने के नियमों में संशोधन करने की भी अपील की थी। उन्होंने कहा कि यद्यपि गृह मंत्री ने मुख्यमंत्री से फोन पर बातचीत तो की, लेकिन बकाया राशि जारी करने या बाढ़ पीड़ितों को सहायता देने के बारे में कोई आश्वासन नहीं दिया।
1962, 1965, 1971 और हाल ही में 2025 में हुए युद्धों के दौरान पंजाबियों की बहादुरी को याद करते हुए वित्त मंत्री चीमा ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान से हुए संघर्षों के दौरान राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों ने सबसे अधिक हमलों का सामना किया, लेकिन पंजाबियों ने अटूट साहस के साथ जवाब दिया। उन्होंने गहरी निराशा जताई कि अब केंद्र सरकार पंजाब की पीड़ा के प्रति आंखें मूंद रही है। उन्होंने बताया कि पिछले लगभग चार दशकों में आई सबसे बड़ी बाढ़ ने राज्य के बड़े हिस्सों, जिसमें पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर, तरन तारन, कपूरथला और जालंधर शामिल हैं, में तबाही मचाई है। उन्होंने कहा कि इस दौरान पंजाब सरकार और पूरा मंत्रिमंडल राहत और पुनर्वास के लिए अथक परिश्रम कर रहा है।
वित्त मंत्री चीमा ने आम आदमी पार्टी पंजाब के अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा के प्रयासों की भी सराहना की, जिन्होंने प्रभावित लोगों की हर संभव मदद के लिए पार्टी नेताओं को लामबंद किया है। मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने पुष्टि की कि अब तक 29 जानें जा चुकी हैं और डिप्टी कमिश्नर नुकसान का आकलन करने में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि तत्काल प्राथमिकता राहत सामग्री पहुंचाने और बचाव कार्यों को जारी रखने की है।
अपने संबोधन का समापन करते हुए वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने बाढ़ के कारण नागरिकों के नुकसान की भरपाई के लिए पंजाब सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दोहराया और केंद्र सरकार से पंजाब के लोगों के प्रति अपनी संवैधानिक और नैतिक जिम्मेदारी निभाने की अपील की।