मान सरकार का पलटवार, आज हर ज़िले में प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर केंद्र को करेगी बेनकाब
चंडीगढ़। केंद्र सरकार की ओर से पंजाब में राशन कार्ड धारकों पर लगाई जा रही नई शर्तों को लेकर अब पंजाब सरकार और आम आदमी पार्टी ने सीधे तौर पर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के ऐलान के बाद अब आम आदमी पार्टी सरकार और पार्टी संगठन दोनों ही एक्शन मोड में आ गए हैं। पार्टी ने आज रविवार से राज्य के सभी 23 जिलों में एक साथ प्रेस कॉन्फ़्रेंस करने का ऐलान किया है। इसमें मंत्री और विधायक जनता के बीच जाकर भाजपा सरकार की “राशन चोरी” को उजागर करेंगे।
दरअसल, केंद्र ने KYC अपडेट और NFSA सत्यापन की आड़ में पहले ही 23 लाख लोगों का राशन बंद कर दिया है और अब 32 लाख और लोगों को चेतावनी दी गई है। यानी कुल 55 लाख पंजाबियों का मुफ्त राशन खतरे में है। इस पर शुक्रवार को मुख्यमंत्री मान ने सख्त लहजे में कहा था—“मेरे रहते पंजाब में किसी का भी राशन कार्ड नहीं कटेगा। अगर ज़रूरत पड़ी तो पंजाब सरकार अपने संसाधनों से भी लोगों को अनाज देगी।” मान का आरोप है कि जिस राज्य ने पूरे देश को अनाज दिया, उसी को आज भूखा रखने की कोशिश हो रही है।
पंजाब सरकार का कहना है कि केंद्र के खाद्य मंत्रालय ने राज्य से 6 महीने का समय मांगे जाने के बावजूद जल्दबाजी में लोगों का राशन बंद करना शुरू कर दिया। इसी को लेकर अब पार्टी राज्यव्यापी अभियान छेड़ रही है।
पंजाब का अनाज योगदान भारत की ‘फूड बास्केट’
पंजाब लंबे समय से देश की खाद्य सुरक्षा का सबसे बड़ा स्तंभ रहा है। 2024-25 की रबी सीजन में पूरे देश में 262.48 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया, जिसमें अकेले पंजाब ने 124.26 लाख मीट्रिक टन दिया। यह हिस्सा लगभग 47% है, यानी देश की आधी ज़रूरत अकेले पंजाब ने पूरी की। चावल की बात करें तो पंजाब हर साल केंद्रीय पूल में करीब 31% से 40% तक धान का योगदान देता है। इन आँकड़ों से साफ है कि अकेले पंजाब ही राष्ट्रीय खाद्य भंडार का लगभग एक-तिहाई हिस्सा भरता है। यही वजह है कि इसे “भारत की अनाज की टोकरी” कहा जाता है और केंद्र सरकार की किसी भी नीति का सीधा असर पूरे देश की खाद्य सुरक्षा पर पड़ता है।
अब सवाल सिर्फ़ आंकड़ों का नहीं बल्कि ग़रीबों की थाली का है। जिस पंजाब ने देश की रसोई भरी, आज वही भूखे रहने की धमकी झेल रहा है। मान सरकार ने ऐलान कर दिया है कि चाहे राज्य को आर्थिक बोझ उठाना पड़े या अपने संसाधन झोंकने पड़ें, किसी भी पंजाबवासी का राशन कार्ड बंद नहीं होगा। यह टकराव आने वाले दिनों में केंद्र और राज्य की राजनीति का बड़ा मुद्दा बनेगा, क्योंकि यह संघर्ष सिर्फ़ कागज़ी नियमों का नहीं बल्कि लोगों की भूख और अधिकारों का है।