उत्तराखंड में पिछले 10 वर्षों में बादल फटने की घटनाएं बढ़ गई हैं। एक्सपर्ट ने भास्कर को बताया कि इन घटनाओं के पीछे 3 प्रमुख कारण हैं। पहला- टिहरी डैम, दूसरा- मानसून सीजन का सिमटना और तीसरा उत्तराखंड के मैदानी हिस्सों में वनों का अभाव।
वाडिया इंस्टिट्यूट के भू-भौतिकी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सुशील कुमार का कहना है कि एक दशक में बादल फटने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। अब ‘मल्टी क्लाउड बर्स्ट’ की स्थिति पैदा हो गई है। यानी कई बादल एक साथ, एक ही स्थान पर फटते हैं, जिससे भारी नुकसान हो रहा है।
डॉ. सुशील के अनुसार, टिहरी बांध बनने के बाद ऐसी घटनाओं में इजाफा हुआ है। टिहरी में भागीरथी नदी पर करीब 260.5 मीटर ऊंचा बांध बना है, जिसका जलाशय लगभग 4 क्यूबिक किमी क्षेत्र में फैला है, यानी 32 लाख एकड़ फीट। इसका ऊपरी जल क्षेत्र करीब 52 वर्ग किमी है।