चंडीगढ़, 20 जूनः
पंजाब राज्य किसान और कृषि श्रमिक आयोग ने नेशनल इंस्टीट्यूट हाइड्रोलोजी, रुड़की से पंजाब के जल संसाधनों की उपलब्धता और पानी से सम्बन्धित अन्य मुद्दों पर एक अध्ययन करवाया है। इस रिपोर्ट के नतीजे पंजाब विधान सभा द्वारा गठित गुरजीत सिंह राणा की अध्यक्षता अधीन 6 विधायकों की विधान सभा कमेटी को सौंपे गए हैं। कमेटी ने इस रिपोर्ट की सराहना की है और आयोग को निर्देश दिए हैं कि वह रिसाव/सिमने पैटर्न को मापने के साथ-साथ कार्बन डेटिंग और आइसोटोप प्रौद्योगिकियों का प्रयोग करके इसके दायरे को सूक्ष्म दर तक बढ़ाने के लिए अध्ययन करें। पंजाब की बढ़ रही पानी की चुनौतियों से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुये पंजाब राज्य किसान और कृषि श्रमिक आयोग ने आज प्रमुख जल माहिरों और वैज्ञानिकों की 15 एजेंडा बिंदुओं के अंतर्गत उच्च स्तरीय मीटिंग बुलायी जिसकी अध्यक्षता आयोग के चेयरमैन प्रो. सुखपाल सिंह ने की। मीटिंग में आईआईटी रोपड़ के डीन (सी. ए. पी. एस.) डा. पुष्पेंद्र पाल सिंह, डा. सरबजोत कौर, रेडियोधर्मी टूलज़ पर प्रमुख वैज्ञानिक, आईआईटी रोपड़; हर्षद कुलकर्णी, सहायक प्रोफ़ैसर, आईआईटी मंडी, डा रणजीत के झा, आईआईटी मंडी; गोपाल कृष्ण, वैज्ञानिक-ई, नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हाइड्रोलोजी (ऐनआईऐच), रुड़की ने हिस्सा लिया। इस मीटिंग का आयोजन आयोग के प्रशासनिक अधिकारी- कम-सचिव डा. रणजोध सिंह बैंस ने किया। बाग़बानी विभाग के पूर्व डायरैक्टर डा. गुरकंवल सिंह ने भी राज्य को पेश चुनौतियों के बारे अपनी विशेषज्ञ राय सांझी की।
विशेषज्ञों ने पंजाब के भूजल के गिर रहे संसाधनों का नक्शा बनाने के लिए एडवांस्ड आईसोटोपिक स्टड्डीज़ और कार्बन डेटिंग, रिचार्ज बढ़ाने के लिए प्राचीन पैलीयो- चैनलों की पहचान करने के लिए हैलीबोरन सर्वेक्षणों और दक्षिण- पश्चिमी पंजाब के गंभीर सेम और खारेपन के मुद्दों को हल करने के लिए केंद्रित रणनीति समेत तुरंत हस्तक्षेप की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। इसके इलावा, मध्य पंजाब में पानी की स्पलाई बढ़ाने के लिए उझ दरिया ( 5 बीसीऐम की अनुमानित क्षमता वाले) पर एक जल भंडार की संभावना अध्ययन और स्थायी निकासी सीमाएं निर्धारित करने के लिए जलभंडारों की वैज्ञानिक विशेषता के बारे विचार विमर्श किया गया। भारी धातुओं को अवशोषित करने वाले पौधों की किस्में और खारेपन-सहनशील बाँस के पौधे लगाने और भूजल के रिचार्ज/पुनर्भरण के लिए रिवायती जल संसाधनों और पुराने कुओं का पुर्नोद्धार करने जैसे नवीन समाधानों की खोज के लिए विचारों का आदान- प्रदान किया गया। मीटिंग में पंजाब की कृषि को बाढ़ों और मौसम की अत्यंत घटनाओं के लिए और ज्यादा लचीला बनाने के लिए रणनीतियों के बारे भी विचार-विमर्श किया गया।
डा. बैंस ने कहा कि दिन भर के विचार-विमर्श की सिफारिशें, प्रमुख खोज संस्थाओं के सहयोग से लागू किये जाने वाले राज्य व्यापी जल संरक्षण मिशन की नींव के तौर पर काम करेंगी। डा. सुखपाल सिंह ने राज्य के पानी के संकट से निपटने के लिए बुनियादी खोज की ज़रूरत पर ज़ोर दिया और भरोसा प्रकट किया कि उपस्थित प्रसिद्ध वैज्ञानिक किसान आयोग के सहयोग के साथ महत्वपूर्ण योगदान डालेंगे।
मीटिंग के एक महत्वपूर्ण नतीजे में सर्वसम्मति से सभी प्रमुख खोज संस्थाओं ने किसान आयोग के साथ नजदीकी सहयोग करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। यह भी फ़ैसला किया गया कि आईआईटी रोपड़, आईआईटी मंडी, एनआईएच और पंजाब राज्य किसान और कृषि श्रमिक आयोग के दरमियान तुरंत एक कंसोरटियम सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये जाएंगे जिससे पंजाब के भूजल को कायम रखने, संभालने और दूषित होने से रोकने पर केन्द्रित 15 सूत्रीय व्यापक, राज्य स्तरीय प्रोजैक्ट शुरू किये जा सकें। इस सांझी पहल का उद्देश्य प्रमुख खोज संस्थाओं की वैज्ञानिक और तकनीकी महारत को आयोग की नीति और लागू करने की क्षमता के साथ इकट्ठा करना है। यह प्रोजैक्ट उन्नत खोज, क्षेत्र स्तरीय हस्तक्षेप और रणनीतिक योजनाबंदी को जोड़ कर भूजल के घटने और प्रदूषण की चुनौतियों का समाधान करेगा। इसमें कृषि के लिए पानी की सुरक्षा और राज्य भर में पीने वाले साफ़ पानी को यकीनी बनाने के लिए तुरंत उपाय और लम्बी मियाद की रणनीतियां शामिल होंगी। इस अध्ययन के निष्कर्ष और नतीजन नीतिगत प्रयास पंजाब को देश के सबसे विकसित राज्यों में शामिल कर देंगे।
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