पोषण सुरक्षा सम्मेलन: स्कूल और सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए बहु-विभागीय सहयोग महत्वपूर्ण

चंडीगढ़, 22 अप्रैल:
पंजाब राज्य खाद्य आयोग ने राज्य भर के स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में पोषण सुरक्षा, स्वास्थ्य के लिए लाभकारी जड़ी-बूटियों की बागवानी और स्वास्थ्य शिक्षा पहलों को बढ़ावा देने पर केंद्रित एक उच्च-स्तरीय बहु-विभागीय बैठक आयोजित की।

श्री बाल मुकुंद शर्मा की अध्यक्षता में हुए इस सत्र में सरकारी अधिकारियों और मैग्सिपा, चंडीगढ़ के मुख्य विषय वस्तु विशेषज्ञ शामिल हुए ताकि पोषण कार्यक्रमों को लागू करने और उनका विस्तार करने के लिए रणनीतियाँ तैयार की जा सकें, जिसमें विद्या को व्यावहारिक बागवानी पहलों के साथ जोड़ा जाएगा।

अध्यक्ष श्री शर्मा ने खाद्य सुरक्षा के प्रति आयोग की प्रतिबद्धता को उजागर करते हुए कहा, “हमारा उद्देश्य टिकाऊ मॉडल बनाना है, जो न केवल तत्काल पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करता हो बल्कि बच्चों के लिए स्वस्थ भोजन विकल्पों के बारे में स्थायी जागरूकता भी पैदा करे।”

खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के पूर्व सचिव डॉ. बी.सी. गुप्ता, आई.ए.एस. (सेवानिवृत्त) ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के महत्व के बारे में महत्वपूर्ण बातें साझा कीं, जबकि उनकी तकनीकी प्रस्तुतियों के माध्यम से स्कूलों में उपलब्ध संसाधनों, पोषण वाटिका पहलों की वर्तमान स्थिति और पंजाब की जलवायु परिस्थितियों के अनुसार तैयार किए गए कृषि मॉडलों के बारे में जानकारी दी गई।

बैठक के दौरान व्यावहारिक कार्यान्वयन के साधनों पर जोर दिया गया और सदस्य सचिव श्री कमल कुमार गर्ग, आईएएस ने चुने हुए स्कूलों में पायलट कार्यक्रम शुरू करने की योजनाओं की रूपरेखा प्रदान की, जो व्यापक रूप से अन्य स्कूलों में भी मॉडल के रूप में काम कर सकते हैं।

भागीदारों ने कार्यक्रम की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए सरकारी विभागों, शैक्षणिक संस्थानों और निजी संस्थाओं के बीच संभावित साझेदारी की भी पड़ताल की।

बैठक में विभिन्न क्षेत्रों के मुख्य हितधारकों की विशेष भागीदारी देखी गई। श्री कमलदीप सिंह संघा, आईएएस (सेवानिवृत्त) ने पोषण, स्वच्छता और स्वास्थ्य शिक्षा की अंतर-निर्भरता पर जोर दिया, जबकि पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सतविंदर सिंह मरवाहा ने भोजन की गुणवत्ता और सुरक्षा प्रोटोकॉल के आवश्यक पहलुओं को उजागर किया। यह सिलसिला, श्री वरिंदर बराड़ द्वारा स्कूलों में संसाधनों की उपलब्धता पर व्यावहारिक जानकारी और समझ-बूझ और श्री सुखदीप सिंह झज्ज की पोषण वाटिका पहलों पर व्यापक प्रस्तुति के साथ जारी रहा। इन महत्वपूर्ण पहलुओं को और आगे बढ़ाते हुए, श्री सुखदीप सिंह हुंदल ने जलवायु-स्थिति के अनुसार बागवानी मॉडलों के बारे में विशेषज्ञ सलाह और जानकारी साझा की, जबकि डॉ. अजीत दुआ ने भोजन जांच के मानकों और कार्यान्वयन ढांचे पर विस्तार से बताया।
पौष्टिक सुरक्षा के बारे में महत्वपूर्ण पहलुओं पर विभिन्न विशेषज्ञों की महत्वपूर्ण और गहरी नुक्ता-निगारी ने चर्चा को और प्रभावी और असरदार बनाया। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना से डॉ. जसविंदर बराड़ ने विभिन्न फलों की खेती के माध्यम से खाद्य विविधता को बढ़ाने के लिए रणनीतियों की रूपरेखा साझा की, जबकि डॉ. अमृत सिंह सेखों ने जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य परियोजनाओं में प्रवासियों की भागीदारी संबंधी अवसरों का उल्लेख किया। डॉ. एस.के. द्वारा पोषण कार्यक्रमों में आयुर्वेदिक एकीकरण और कार्यक्रम निगरानी और मूल्यांकन के लिए कृषि-तकनीकी समाधानों का लाभ उठाने के बारे में श्री तरनजीत सिंह भमरा की जानकारी ने बातचीत को और मजबूत किया। आयोग के सदस्यों श्री चेतन प्रकाश धालीवाल और श्री विजय दत्त ने क्रमशः प्रत्यक्ष क्षेत्रीय निरीक्षण और धन्यवाद प्रस्ताव के साथ कार्यक्रम को शिखर पर पहुंचाया।

सम्मेलन 30 दिनों के भीतर ठोस कार्य योजनाओं को विकसित करने की प्रतिबद्धता के साथ समाप्त हुआ, जिसमें भोजन गुणवत्ता जांच, कार्यक्रम निगरानी और सामुदायिक भागीदारी के लिए नवीनताकारी दृष्टिकोणों को पेश करते हुए मौजूदा बुनियादी ढांचे का लाभ उठाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

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