पंजाब के नीले आसमान के नीचे एक बार फिर उम्मीद का सूरज चमक रहा है। हरे-भरे खेतों की इस धरती की धड़कन, जो कि पंजाबी किसान के सीने में बसती है, आज एक नई दिशा की ओर बढ़ रही है। दशकों से जो समस्या हर सरकार के लिए एक अनसुलझी पहेली बनी रही, वह थी फसलों के अवशेषों को जलाने की समस्या, जिससे पूरे उत्तर भारत में वायु प्रदूषण की भयावह तस्वीरें सामने आती रही हैं। लेकिन अब, ‘आम आदमी पार्टी’ की पंजाब सरकार ने इस समस्या की जड़ को पकड़ लिया है।
पांच सौ करोड़ रुपये की मेगा कार्य योजना — यह केवल एक आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि एक मजबूत इरादा है, एक ज़िम्मेदारी भरा ऐलान है, जो सीधे किसानों, धरती माँ और आने वाली पीढ़ियों के साथ किया गया वादा है। सरकार का यह कदम दर्शाता है कि आज भी राजनीति में ईमानदारी, दूरदर्शिता और जनसंवेदनाओं के लिए स्थान बचा हुआ है। यह कोई चुनावी घोषणा नहीं, बल्कि एक सुविचारित दृष्टिकोण है — “रंगला पंजाब” के निर्माण की दिशा में एक स्पष्ट प्रयास।
जब किसान अपनी खेती के लिए समर्पित हो, लेकिन तकनीकी और आर्थिक असमर्थता के कारण प्रदूषणकारी उपायों को अपनाने के लिए मजबूर हो जाए, तो यह केवल उसकी गलती नहीं, बल्कि एक संस्थागत विफलता मानी जाती है। लेकिन जब 50% से 80% तक की सब्सिडी के साथ सी.आर.एम. मशीनों की खरीद को सुलभ बनाया गया, तो यह कदम किसानों के लिए केवल एक मशीन नहीं, बल्कि आत्म-सम्मान की पुनर्स्थापना बन गया। इन मशीनों के माध्यम से फसल अवशेषों के निपटान को पर्यावरण-अनुकूल बनाकर सरकार ने किसानों को एक नई राष्ट्रीय निर्माण प्रक्रिया में सहभागी बना दिया है।
यह योजना यह भी दर्शाती है कि किसान केवल उत्पादक नहीं, बल्कि प्रकृति के सहचर हैं। जब किसान को उचित तकनीक, मानसिक प्रेरणा और राजनीतिक समर्थन प्राप्त होता है, तो वह केवल अन्न ही नहीं, बल्कि नई अर्थव्यवस्था, नया पर्यावरण और नया समाज भी गढ़ सकता है। यह परिवर्तन अभी आरंभ हुआ है, लेकिन इसकी गूंज दूर तक जाएगी — दिल्ली की धुंधभरी सुबहों तक, जहाँ आम लोग सांस लेने के लिए तरसते हैं।
सरकार द्वारा घोषित यह योजना कोई अलग अभियान नहीं, बल्कि समग्र ढांचे की एक शांत क्रांति है। इसके माध्यम से पंजाब अपनी कृषि-संस्कृति को एक नई पहचान दे रहा है — केवल हरे-भरे खेतों की नहीं, बल्कि सुव्यवस्थित सोच वाली राजनीति की भी। यह सोच हमें उस पंजाब की ओर ले जा रही है, जिसकी कल्पना गुरु साहिबानों ने की थी, जिसकी आत्मा में धरती से भी गहरी संवेदना थी।
इस संपादकीय के माध्यम से हम केवल एक सरकार की प्रशंसा नहीं कर रहे, बल्कि एक दृष्टिकोण की वकालत कर रहे हैं, जो आम लोगों की भलाई को अपनी नीति का केंद्र बनाए हुए है। ‘रंगला पंजाब’ कोई नारा नहीं, बल्कि एक प्रक्रिया है — ऐसी प्रक्रिया जिसका आरंभ हो चुका है और जिसकी मंज़िल हम सब मिलकर तय करेंगे — हर सांस में, हर फसल में, और हर खेत में।
यह पंजाब अब नए रंगों में रंग रहा है — हवा की शुद्धता, मिट्टी की पवित्रता और किसान की आँखों में नए सवेरे की चमक — यही है असली ‘रंगला पंजाब’।