चंडीगढ़, 8 फरवरी – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि हरियाणा में औद्योगिक क्षेत्र की समस्याओं के निवारण के लिए सरकार तीव्र गति से काम कर रही है। प्रदेश में औद्योगिक विकास को गति देने के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का एक इको-सिस्टम तैयार किया है, जिसमें प्रमाण पत्र, लाइसेंस और अनुमति देने में अड़चन पैदा करने वाले अनेक नियमों और प्रक्रियाओं को खत्म किया गया है। प्रदेश में स्वीकृतियां प्रदान करने के लिए सिंगल रूफ क्लीयरेंस सिस्टम लागू किया गया है, जिसमें समयबद्धता के साथ निवेशकों को 150 से अधिक सेवाएं ऑनलाइन प्रदान की जा रही हैं। प्रदेश में लोगों के जीवन को सरल व सुगम करना हमारी प्राथमिकता है।
मुख्यमंत्री शनिवार को गुरुग्राम में स्वदेशी जागरण मंच के तत्वाधान में भारत ग्लोबल इंडस्ट्रीज फोरम (बीजीआईएफ) द्वारा ‘भारत को मैन्युफैक्चरिंग का ग्लोबल हब बनाने’ विषय पर आयोजित सेमिनार में बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में सहकारिता और विरासत एवं पर्यटन मंत्री डॉ अरविंद शर्मा, राज्यसभा सांसद डॉ विक्रमजीत सिंह साहनी उपस्थित थे।
श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि हमारा ध्येय है कि प्रदेश में औद्योगिक विकास की गति किसी भी रूप में गतिरोधों से प्रभावित न हो। हरियाणा के समुचित विकास में हमारी ईमानदारी का यह प्रतिफल है कि हरियाणा सरकार पिछले 10 वर्षों में हर प्रकार की परीक्षा की कसौटी पर खरी उतरी है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि हमारा संकल्प है कि हरियाणा के 10 जिलों में नई आईएमटी स्थापित की जाएगी। उन्होंने कहा कि हरियाणा में सड़क परियोजनाओं के विस्तार से आज विभिन्न क्षेत्रों के निवेशक निरन्तर सरकार के संपर्क में है।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश में निरंतर जारी औद्योगिक क्रांति में विशुद्ध भारतीयों की उपलब्धि पर कहा कि यह हम सभी के लिए गौरव का विषय है और इस बात का प्रमाण भी है कि सरकार सही दिशा में काम कर रही है। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों के बुद्धिजीवियों के साथ की जा रही प्री बजट बैठकों का उल्लेख करते हुए कहा कि हरियाणा के बजट में कृषि से लेकर उद्योग व अन्य क्षेत्रों का प्रमुखता से ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि इस क्रम में वे स्वयं अलग अलग जिलों में जाकर बैठकें कर रहे हैं। इसके साथ ही बैठक में सहभागी रहे सभी हितधारकों को बजट सत्र में भी आमंत्रित किया गया है ताकि वे स्वयं इस बात के साक्षी बने की सरकार ने उनके सुझावों को कितनी प्राथमिकता के साथ बजट में शामिल किया है।