पंजाब सरकार ने केंद्र की कृषि मंडी नीति के खाके को रद्द किया

चंडीगढ़ – पंजाब के किसानों की लंबे समय से चली आ रही मांग और विरोध को ध्यान में रखते हुए पंजाब सरकार ने केंद्र की कृषि मंडी नीति के खाके को रद्द करने का निर्णय लिया है। यह नीति पंजाब में कृषि क्षेत्र की संरचना और किसानों के व्यापारिक माहौल को बदलने की योजना के तहत तैयार की गई थी। हालांकि, इसके क्रियान्वयन के दौरान कई संवैधानिक और सामाजिक असमानताएं उत्पन्न हुईं, जिसके चलते पंजाब सरकार को यह कदम उठाना पड़ा।

केंद्र सरकार ने इस नीति को कृषि क्षेत्र को आधुनिक तकनीकों से जोड़ने, निजी भागीदारी को मंडी प्रबंधन में शामिल करने और किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने के वादों के साथ पेश किया था। इसके मुख्य बिंदु निम्नलिखित थे:

निजी मंडियों की स्थापना: किसानों को अपनी फसल निजी खरीदारों को बेचने की स्वतंत्रता।इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म: कृषि उत्पादों की खरीद-बिक्री के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की स्थापना। नियमों में बदलाव: कृषि उत्पादों को आवश्यक वस्तु अधिनियम से बाहर करना। इस नीति का किसानों ने शुरू से ही विरोध किया। उनके मुख्य आपत्ति बिंदु निम्नलिखित थे मंडी प्रणाली का खतरा: राज्य की मौजूदा प्रणाली और MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को नजरअंदाज करने की आशंका।

किसानों के हितों पर सवाल: किसानों का मानना था कि निजी भागीदारी का प्रबंधन उनके हितों के खिलाफ है। भंडारण का खतरा: उत्पादों की वितरण और संग्रहण की अनियमितता से जमाखोरी बढ़ने की संभावना जताई गई। पंजाब सरकार ने किसानों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए इस नीति को रद्द कर दिया। इसके साथ राज्य की पारंपरिक मंडी व्यवस्था कायम रहेगी और किसानों को सुरक्षित मंडी एवं MSP की सुविधा मिलती रहेगी।

पंजाब सरकार का यह कदम कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह स्पष्ट करता है कि राज्य सरकार किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले दिनों में केंद्र और राज्य के संबंध कैसे विकसित होते हैं और किसानों के हितों के लिए क्या अन्य प्रयास किए जाते हैं।

इस फैसले से पंजाब के कृषि क्षेत्र में यह संकेत मिलता है कि आम आदमी पार्टी की सरकार के लिए किसानों की आवाज़ और हित प्राथमिकता में हैं। पंजाब सरकार ने यह साबित किया है कि किसानों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए वह हमेशा उनके साथ खड़ी है।

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