चंडीगढ़, 1 फरवरी:
आज यहां सेक्टर-68 स्थित वन परिसर में, 1994 बैच के भारतीय वन सेवा के श्री धर्मिंदर शर्मा ने प्रमुख मुख्य वनपाल, पंजाब (पी सी सी एफ , एच ओ एफ एफ) के मुखी के तौर पर कार्यभार संभाल लिया है। इसके साथ ही वे पी सी सी एफ वाइल्डलाइफ और चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन, पंजाब का अतिरिक्त कार्यभार भी संभालेंगे।
इस अवसर पर श्री धर्मिंदर शर्मा ने मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान और वन मंत्री लाल चंद कटारूचक्क का धन्यवाद करते हुए कहा कि इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने, जलागाहों का संरक्षित रखरखाव, प्रदेश में हरियाली बढ़ाने और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
श्री शर्मा ने कहा कि जुलाई 2025 में होने वाला ‘वन महोत्सव’ एक विशिष्ट कार्यक्रम होगा। उन्होंने लोगों से अधिक से अधिक पेड़ लगाने का आह्वान किया, क्योंकि आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ और हरा-भरा पर्यावरण बनाए रखना एक आवश्यकता है।
ज्ञातव्य है कि श्री शर्मा 1994 बैच के भारतीय वन सेवा (आई एफ एस) यू पी एस सी टॉपर हैं और उनकी शिक्षा और अनुभव के कारण वे वन्यजीव विशेषज्ञ, वनस्पति विज्ञानी और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधक भी हैं।
उन्होंने प्लांट साइंसेज में दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक और क्रैनफील्ड विश्वविद्यालय, यूके से मार्शल पैपवर्थ स्कॉलरशिप पर प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में मास्टर डिग्री प्राप्त की। इसके अलावा, श्री शर्मा ने यूके, फिनलैंड की विश्वविद्यालयों और येल विश्वविद्यालय, यूएसए से वन्यजीव और संबंधित विज्ञान में प्रशिक्षण प्राप्त किया।
इससे पहले, वे पंजाब सरकार में जिला और उच्च स्तर पर विभिन्न पदों पर सेवाएं दे चुके हैं, जिनमें जिला वन अधिकारी, पटियाला/संगरूर/फिरोजपुर, विश्व बैंक से सहायता प्राप्त परियोजना में टीम लीडर, छतबीड़ चिड़ियाघर के निदेशक, वन, मैदानी क्षेत्रों के चीफ कंजरवेटर, और भूमि एवं जल संरक्षण विभाग और कृषि विभाग के सचिव के रूप में सेवाएं शामिल हैं।
उनकी उपलब्धियों में पंजाब की राज्य वन अनुसंधान योजना तैयार करना भी शामिल है, जिसने 1999 में उस समय के जीका (जापान) प्रोजेक्ट के तहत अनुसंधान परियोजनाओं को दिशा प्रदान की। उसी वर्ष, वन विभाग में नए भर्ती किए गए वन गार्डों के लिए एक पेशेवर प्रशिक्षण कोर्स भी आयोजित किया गया।
साल 2000 में फिरोजपुर वन मंडल का “वर्किंग प्लान” (एक उच्च तकनीकी दस्तावेज) तैयार करने के अलावा, श्री शर्मा ने फील्ड डायरेक्टर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान 2006-09 के बीच छतबीड़ चिड़ियाघर का “मास्टर प्लान” भी तैयार किया। यह भारत का इस संदर्भ में पहला दस्तावेज था और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, भारत सरकार द्वारा इसकी सराहना की गई। यह दस्तावेज तब से चिड़ियाघर में चल रहे सभी विकास का मार्गदर्शन कर रहा है।
उन्होंने यूके से एग्रोफॉरेस्ट्री प्रणालियों में कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन में विशेषज्ञता प्राप्त की थी, जिसके कारण उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर कई संस्थाओं द्वारा जलवायु परिवर्तन और अन्य पर्यावरण मुद्दों पर बोलने और इसके भागीदारों को प्रशिक्षण देने के लिए आमंत्रित किया गया। इसके साथ ही उन्हें मैग्सिपा चंडीगढ़, वन अनुसंधान संस्थान (एफ आर आई) देहरादून और ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान (टी आर आई) दिल्ली में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सेमिनारों/कार्यशालाओं में विचार-विमर्श के लिए भी आमंत्रित किया गया।
इस अवसर पर अन्य प्रमुख वन अधिकारी जैसे मुख्य वन कंजरवेटर (वन्यजीव) सतेंद्र सागर, वन कंजरवेटर (योजना) विशाल चौहान, ऑनरेरी वाइल्डलाइफ वार्डन (पटियाला) अमरजीत सिंह चौहान, प्रबंधकीय अधिकारी राजिंदर सिंह और वन एवं वन्यजीव सुरक्षा विभाग के स्टाफ सदस्य उपस्थित थे।